नई दिल्ली। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) जांच में हर रोज नए मोड़ आ रहे हैं। अब आयकर विभाग के रडार पर एनएसईएल में निवेश करने वाले भी आ गए हैं। दरअसल जो निवेशक एनएसईएल पर 5,700 करोड़ रुपये के भुगतान संकट को लेकर सबसे ज्यादा शोर-शराबा मचा रहे थे उस पर आयकर विभाग ने शिकंजा कस दिया है। आयकर विभाग एनएसईएल के निवेशकों से पूछताछ कर रहा है। इस मामले की जांच में शामिल हुए आयकर विभाग का मानना है कि एक्सचेंज के जितने निवेशक बताए गए हैं उनमें से कुछ महज कागजों पर ही हैं यानी वे नकली हैं।
आयकर विभाग के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक विभाग ने स्टॉक ब्रोकरों से एनएसईएल के निवेशकों की जानकारी मांगी है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि ग्राहकों को जोड़ने में नियमों का पालन किया गया है या नहीं। अधिकारी के अनुसार विभाग को लगता है कि घोटाले में फंसी एनएसईएल के निवेशकों की संख्या उसके बताए गए 13,000 से काफी कम है। विभाग को यह संदेह एनएसईएल प्रबंधन के उस दावे से हुआ, जिसमें उसने कहा कि कई ब्रोकरों ने अपने खाते में से निवेश किया था। विभाग जानना चाहता है कि 14 से 16 फीसदी का प्रतिफल हासिल करने के लिए यह रकम ‘बेनामी’ तरीके से निवेश की गई या इसके लिए नकली निवेशक दिखाए गए।
आयकर विभाग के अधिकारी को आशंका है कि ब्रोकरों ने बाजार से पैसा उठाया होगा और नकली खातों के जरिये इन कारोबारों में निवेश किया होगा। इसलिए आयकर विभाग जानना चाहते हैं कि निवेशक ने इस रकम पर कर चुकाया या नहीं या फिर वे इस तरीके से मनी लॉन्डरिंग कर रहे थे। वहीं आनंद राठी कमोडिटीज की कार्यकारी निदेशक (जिंस एवं वायदा) प्रीति गुप्ता का कहना है कि विभाग को एनएसईएल के सभी निवेशकों की जानकारी दी है। और सबकुछ कानून के दायरे में हुआ है। एनएसईएल में निवेश करने वाले एक अन्य ब्रोकर ने बताया कि वे विभाग को अपने निवेशकों का पैन उपलब्ध करा चुके हैं। विभाग ने निवेशकों से पूछा है कि उन्होंने इस निवेश पर कर चुकाया है या नहीं। विभाग के इस कदम से उन निवेशकों की मुश्किल बढ़ सकती है, जिन्होंने इस रकम पर कर नहीं भरा है और शायद उन्हें ज्यादा कर भरना पड़े या फिर जुर्माना।
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