कोलकाता। शारदा चिटफंड घोटाले ने सैकड़ों घरों को बर्बाद कर दिया। लोगों की गाढ़ी कमाई लूट गई, लोग खुदकुशी करने के लिए मजबूर हो गए। जब ये मामला सामने आया था, उस समय ये पता लगाना नामुमकिन था कि कितनी रकम का ठगी हुआ है। लेकिन ये आंकड़ा अब सामने आ गया है। शारदा ग्रुप से जुड़े पश्चिम बंगाल के कथित चिटफंड घोटाले के 2,460 करोड़ रुपये तक का होने का अनुमान है। ताजा जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 80 पर्सेंट जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है।
रिपोर्ट कहती है कि गिरफ्तार किए गए शारदा के चेयरमैन सुदीप्त सेन का उनके ग्रुप की सभी कंपनियों की सभी जमा रकम पर पूरा कंट्रोल था। सेन पर आरोप है कि उन्होंने कथित फ्रॉड करके फंड का गलत इस्तेमाल किया।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, शारदा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। ये तीन स्कीम थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट। इन स्कीम के जरिए भोले भाले जमाकर्ताओं को लुभाने की कोशिश हुई और उनसे वादा किया गया कि बदले में जो इनसेंटिव मिलेगा वो प्रॉपर्टी या फॉरेन टून के रूप में होगा।
पश्चिम बंगाल पुलिस और ईडी की इस संयुक्त जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 से 2012 की ग्रुप की समरी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि ग्रुप की चार कंपनियों ने अपनी पॉलिसियां जारी करके 2459 करोड़ रुपये को ठिकाने लगाया है। इन्वेस्टर्स को 476.57 करोड़ रुपये का पेमेंट हुआ। 16 अप्रैल 2013 तक निवेशकों को 1983.02 करोड़ रुपये का प्रिंसिपल अमाउंट दिया जाना बाकी था। निवेशकों की ओर से अब तक 560 शिकायतें दाखिल की गई हैं। इस घोटाले का खुलासा इस साल की शुरुआत में हुआ था।
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