आज के इस दौर में बिमारियों का दौर चला है। इन दिनो गर्मियों का कहर और भी बढ़ता ही जा रहा है । इससे बच्चे ही नहीं बड़े भी इसकी चपेत में आ रहे है। रोलॉजिस्ट का कहना है कि गर्मी के दिनों में किडनी स्टोन के मामले 40 पर्सेंट तक बढ़ जाते हैं। गर्मीयों में पसीना निकलने की वजह से शरीर में पानी की मात्रा कम होने लगती है।और इसके तुलना में लोग कम पानी पीते है। जिससे किडनी में स्टोन बनने की संभावना बढ़ जाती है। रोलॉजिस्ट का कहना है कि गर्मी के दिनों में किडनी स्टोन के मामले 40 पर्सेंट तक बढ़ जाते हैं।
आरजी स्टोन यूरोलॉजी एं के चीफ यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर पंकज वाधवा का कहना है कि 25 से 45 वर्ष के बीच की आयु के ज्यादा मरीज देखे जाते हैं। यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनीष सिंगला का कहना है कि जो लोग गर्म प्रदेश में रहते है उन्हे का ज्यादा खतरा रहता है। तापमान में 5 से 7 डिग्री के परिवर्तन से ही किडनी स्टोन के 30 पर्सेंट मामले बढ़ जाते हैं।
स्टोन यूरिनरी टै्रक शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है परंतु यह ज्यादातौर पर किडनी या यूरेटर में पाया जाता है। यह किडनी दाने के आकार के भी हो सकते हैं या फिर एक नींबू के आकार के भी। किडनी में स्टोन के कोई लक्षण नहीं होते जब तक कि वह यूरिनरी ट्रैक में रुकावट पैदा न कर दे। यूरिनरी ट्रैक में जाते ही फैल जाती है और खिंचाव के कारण मांसपेशियों में ऐंठन शुरू होने लगती है। इस वजह से पेट के निचले हिस्से और किडनी में तेज दर्द होने लगता है।
किडनी स्टोन के लक्षण
- यूरिन में ब्लड आना, यूरिन बार-बार आना या इसमें दुर्गंध आना
- बुखार, कंपकंपी, उल्टी आना
किडनी स्टोन के उपाय
गर्मियों में पानी की कमी को पूरा करने के लिए खूब पानी पिये। इसका मतलब ये नहीं की एक बार ही पूरी पानी पिए बल्कि थोड़ा थोड़ा पिए। पानी के साथ साथ आप जूस जैसे तरल पदार्थ का भी सेवन कर सकते है। किन प्रोटीन, सोडियम ,फॉस्फोरस या कैफीन के इस्तेमाल से बचें। बियर से किडनी के स्टोन घुल जाते हैं। यह गलत धारणा है बल्कि सच तो यह है कि बियर ऑक्ज्लेट और यूरिक एसिड का बड़ा सोर्स है। इससे किडनी की समस्या बढ़ जाती है।
किडनी स्टोन के उपाचार
इसका इलाज पारंपरिक विधि से या सर्जरी के द्वारा किया जाता है। छोटे आकार का स्टोन जिसका साइज 1.5सेमी से कम होता है।शरीर के बाहर से ही संवेदी तरंगों (शॉक वेव) के झटके से तोड़ा जा सकता है। एक्स्ट्राकोरपोरेअल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी कहा जाता है।लेकिन 1.5 सेमी से बड़ेसाइज के स्टोन के लिए पर्कयुटेनीयस नेफ्रोलिथोट्रामी विधि का प्रयोग किया जाता है। यह एक की होल सर्जरी है।जिसमें एक टनल बनाकर स्टोन को बाहर निकाला जाता है।लेप्रोस्टोपिक विधि का प्रयोग उन मामलों में कियाजाता है । जहां अन्य उपचार सफल नही हो पाते है।
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