नई दिल्ली। लगभग 1,500 करोड़ रुपये के स्टॉकगुरु घोटाले के मुख्य आरोपी ने आरटीआई फाइल की थी। वह जानना चाहता था कि सेबी को उसके खिलाफ क्या शिकायतें और जानकारी मिली है। हालांकि, उसकी यह मांग खारिज कर दी गई है। लोकेश्वर देव उर्फ उल्हास खैरे ने आरटीआई में जो जानकारी मांगी थी, उसमें उसके खिलाफ दायर शिकायतों की कॉपी और मामले में सेबी की राय और उसके स्पष्टीकरण सहित दूसरे ब्योरे शामिल हैं। देव पर आरोप है कि उसने फर्जी स्कीमें बेचने के लिए कई नाम बदले थे।
पुलिस ने बताया कि लोकेश्वर देव और प्रियंका देव के असली नाम उल्लास और रक्षा हैं। दोनों ने फर्जी नाम से पश्चिमी दिल्ली के रामा रोड पर कंपनी खोली और लोगों को चूना लगाने के लिए वचन पत्र तक दिए। अकेले दिल्ली से ही स्टॉक गुरु ने करोड़ों बनाए। इसके अलावा देश भर के इंवेस्टर्स से लोकेश्वर ने मोटी रकम ऐंठी और उसकी पत्नी प्रियंका उर्फ रक्षा ने उसका पूरा साथ दिया।
आरटीआई पर सेबी से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर देव इस साल अप्रैल में सेबी की एपेलेट अथॉरिटी सैट के पास गया था। फर्जीवाड़े के लिए कई बार नाम बदलने वाले लोकेश देव और उसकी पत्नी प्रियंका देव को पिछले साल नवंबर में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था। दंपती पर लाखों इन्वेस्टर्स से 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम ऐंठने का आरोप है।
देव दंपति के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है। मामले में सेबी ने इन दोनों के अलावा इनसे जुड़ी कुछ एंटिटी के खिलाफ जनवरी में ऑर्डर पास किया था। ऑर्डर में इनके कैपिटल मार्केट में 10 साल तक आने पर पाबंदी लगा दी गई थी और इनसे भोलेभाले इन्वेस्टर्स का पैसा लौटाने के लिए कहा था। फर्जी स्कीमें बेचने के लिए इन्होंने जो कंपनियां शुरू की थीं, उनमें से एक स्टॉक गुरु इंडिया (एसजीआई), एसजीआई रिसर्च एंड ऐनालिसिस और स्टॉकगुरुडॉटकॉम शामिल हैं।
सेबी को इस साल मार्च में लोकेश्वर देव की तरफ से एक आरटीआई आवेदन मिली थी, जिसमें उसकी कंपनी एसजीआई रिसर्च एंड ऐनालिसिस लिमिटेड से जुड़े 27 सवालों के जवाब मांगे गए थे। सेबी ने आरटीआई पर 3 अप्रैल को जवाब दिया, जिस पर देव ने 15 अप्रैल को सैट में अपील कर दी। उसने कहा कि रेग्युलेटर ने उसको जो जानकारी दी है वह ‘अपूर्ण और असत्य’ है और यह वो जानकारी नहीं है, जो वह चाहता है।
गौरतलब है कि निवेशकों को 6 महीने तक 20 फीसदी रिटर्न हर महीने देने और सातवें महीने पूरे पैसे वापस लौटाने का वादा करते थे। पुलिस की मानें तो कंपनी का मालिक लोकेश्वर और उसकी पत्नी बड़े बहुरुपिये हैं। दोनों अपने ठिकाने और हुलिए बदलने में माहिर हैं। असली नाम उल्हास प्रभाकर खैर है, लेकिन उसके करीब 8 फर्जी नाम भी हैं। लोकेश्वर नाम भी वो देहरादून के एक शख्स का पहचान पत्र चुराकर चला रहा था। पुलिस के मुताबिक स्टॉक गुरु नाम से फर्जीवाड़े की शुरुआत इन दोनों ने जनवरी 2010 में दिल्ली के रामा रोड स्थित लीजा कॉम्प्लेक्स में ऑफिस खोलकर की थी।
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