नई दिल्ली। सहारा ग्रुप अब एक नए विवाद में घिर गया है। इस बार सेबी नहीं, सुब्रत राय का सहारा ग्रुप प्रॉविडेंट फंड डिपार्टमेंट के रडार पर है। सेंट्रल प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर के. के. जालान ने उत्तर प्रदेश के फंड ऑफिस के अधिकारियों से सहारा ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों की जांच को लाने को कहा है। दरअसल इस बार सहारा ग्रुप पर कप्लायंस शर्तों उल्लघंन करने का आरोप है। सहारा ग्रुप ने पिछले साल दिसंबर में एक विज्ञापन के जरिये 10.13 लाख एंप्लॉयीज होने का दावा किया था। गौरतलब है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप की दो कंपनियों को 20,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करने को कहा है। कोर्ट ग्रुप के खिलाफ सिक्यॉरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
सहारा ने पिछले दिनों लगातार संकट में फंसने के बाद विज्ञापन कैंपेन के जरिये नकारात्मक छवियों को दूर में लगा था। यह ग्रुप लाखों इनवेस्टर्स से गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रुपये जुटाने के आरोपों की जद में है। हालांकि, रीजनल पीएफ ऑफिस ने ऐड्वर्टाइजमेंट अभियान के कुछ सप्ताह के भीतर ही एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड एक्ट, 1952 के तहत ग्रुप के इन एंप्लॉयीज के कंप्लायंस स्टेटस की जांच शुरू कर दिया है। रीजनल पीएफ ऑफिस पूरे मामले को एक तर्कसंगत परिणाम पर ले जाने का प्रयास कर रहा है।
जालान ने उत्तर प्रदेश और बिहार के इनचार्ज अधिकारियों से हाल में एक रिव्यू मीटिंग में कहा था, ‘सहारा और डिफॉल्ट करने वाली दूसरी कंपनियों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करने और इसकी रिपोर्ट एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (ईपीएफओ) मुख्यालय में जमा करने कहा है। जालान ने सभी जोनल पीएफ प्रमुखों से 50 लाख रुपए से अधिक अमाउंट वाले वर्कर्स रिटायरमेंट सेविंग्स की रिकवरी के मामले को निजी तौर पर मॉनिटर करने कहा है। एक सीनियर पीएफ अधिकारी ने कहा कि अगर कंपनी के पास 10.13 लाख वर्कफोर्स हैं, तब सहारा ग्रुप पर एंप्लॉयीज पीएफ का बहुत अधिक बकाया हो सकता है।
वहीं सहारा ग्रुप की ओर से इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया है। सहारा ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा, ‘सहारा ग्रुप द्वारा पीएफ अथॉरिटीज के किसी कानून, नियम, रेगुलेशन या सर्कुलर का उल्लंघन किए बिना जांच किया जा रहा है।’ प्रवक्ता ने कहा कि पीएफ डिपार्टमेंट की कार्रवाई किसी शिकायत की वजह से नहीं, बल्कि रूटीन मामला है। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अक्टूबर 2012 तक की सभी जांच से पीएफ अथॉरिटीज संतुष्ट है। अभी तक उनकी तरफ से कोई आपत्ति नहीं जताई गई है।’
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