उत्तर बंगाल के पीड़ितों व निवेशकों का दावा, 50000 करोड़ ले भागीं कंपनियां
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल में विभिन्न चिटफंड कंपनियां लोगों से 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की वसूली कर फरार हो गयीं. सारधा, रोजवैली जैसी बड़ी चिटफंड कंपनियों ने तो निवेशकों व एजेंटों को चूना लगाया ही, लेकिन छोटी चिटफंड कंपनियां भी ठगने में पीछे नहीं रहीं. यह दावा चिटफंड सफरर एंड एजेंट यूनिटी फोरम के कन्वेनर पार्थ मैत्र ने किया है. श्री मैत्र सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में रविवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
श्री मैत्र ने कहा कि सारधा घोटाला मामला सामने आने के बाद सिर्फ बड़ी चिटफंड कंपनियां ही जांच के दायरे में हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उत्तर बंगाल में 153 छोटी चिटफंड कंपनियां अस्तित्व में आयीं और सभी ने 100 से 200 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया फिर गायब हो गयीं. उन्होंने कहा कि 25 लाख से भी अधिक निवेशक इन चिटफंड कंपनियों के शिकार हुए हैं. हजारों एजेंट भी इन चिटफंड कंपनियों के जाल में फंस कर निवेशकों से बचने के लिए भागे-भागे फिर रहे हैं.
उन्होंने सारधा सहित इन तमाम छोटी-छोटी कंपनियों की भी जांच कर सभी निवेशकों के रुपये वापस लौटाने की मांग की. इस संबंध में उन्होंने सीबीआइ के अलावा इडी, सेबी व एसएफआइओ को भी पत्र लिखा है. श्री मैत्र ने कहा कि राज्य में चिटफंड कंपनियां पहले से ही काम कर रही थीं, लेकिन वर्ष 2011 के बाद ऐसी कंपनियों की बाढ़ आ गयी. छोटी-छोटी जगहों में कुकुरमुत्ते की तरह ये कंपनियां उगीं और दो-तीन वर्षो में गरीब लोगों की खून-पसीने की कमाई डकार कर रातों-रात गायब हो गयीं.
100 से भी अधिक एजेंट और निवेशक अपना सर्वस्व गंवाने के बाद आत्महत्या कर चुके हैं. कहीं से भी किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने निवेशकों के पैसे शीघ्र लौटाने व उत्तर बंगाल में जन्मीं कंपनियों की जांच की मांग को लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन करने की धमकी दी. उन्होंने उत्तर बंगाल के विभिन्न लोकसभा क्षेत्र के सांसदों से भी इस मामले में सहायता की अपील की. सभी सांसदों को पत्र लिखकर इस मुद्दे को संसद में उठाने का अनुरोध किया गया है.
उन्होंने सीबीआइ पर भी कई गंभीर आरोप लगाये. जलपाईगुड़ी जिले के मैनागुड़ी जैसे छोटे शहर में 37 चिटफंड कंपनियों की शुरुआत हुई और वर्तमान में सभी कंपनियां निवेशकों का पैसा लेकर गायब हो गयी हैं. सिलीगुड़ी में 11 व दिनहाटा में 43 चिटफंड कंपनियों के मुख्यालय थे. उत्तर बंगाल के सभी जिलों को मिलाकर 153 कंपनियों की शुरुआत हुई, जबकि ऐसी कंपनियों की संख्या अलग है, जिनके मुख्यालय कोलकाता में थे और उत्तर बंगाल में काम-काज कर रही थी. श्री मैत्र ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 9/5/2014 को दिये अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि चिटफंड कंपनियों की संपत्ति बेचकर निवेशकों के पैसे लौटा दिये जायें. फिर भी उत्तर बंगाल की छोटी चिटफंड कंपनियों की संपत्ति अब तक जब्त नहीं की गयी है.
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