क्रेडिट सोसायटी जमा न करें पैसे : हाईकोर्ट
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में बैंकिंग व्यवसाय करने वाली क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटियों को अपने सदस्यों समेत आमजन से किसी भी तरह की राशि जमा करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि पाबंदी संस्थाओं के सदस्य सहित आमजन को जमाएं (डिपोजिट्स) का भुगतान करने पर नहीं रहेगी।
मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी व न्यायाधीश अजीत सिंह की खंडपीठ ने अधिवक्ता एसपी शर्मा की याचिका मंजूर कर कहा, राज्य में कॉॅपरेटिव सोसायटी एक्ट व मल्टीस्टेट कॉपरेटिव सोसायटी एक्ट 2002 के तहत रजिस्टर्ड सभी संस्थाएं बिना बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 की पालना के जमाएं स्वीकार नहीं करेंगी। राशि जमा करने के लिए संस्थाओं को तीन माह में बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा। कोर्ट ने याचिका में पक्षकार संजीवनी क्रेडिट कॉॅपरेटिव सोसायटी, मारवाड़ क्रेडिट व साई कृपा क्रेडिट कॉपरेटिव सहित राज्य में जमाओं का कार्य करने वाली सभी सोसायटियों पर जमाएं लेने पर प्रतिबंध लगा दिया।
लौटाने की गारंटी नहीं
याचिका में कहा गया, ये संस्थाएं आमजन को जमाएं के लिए भारी विज्ञापन देकर लुभाती हैं जबकि रिजर्व बैंक ने इन्हें बैंकिंग लाइसेंस नहीं दिया है। ये चिटफंड संस्थाओं की तरह पहले सदस्य बनाती हैं। फिर उनसे जमा लेती हैं पर धन वापसीकी गारंटी नहीं देती। समानांतर बैंक चलाती हैं। क्रेडिट कार्ड तक जारी करती हैं।
जरूरत पर कर्ज
सोसायटियों के वकील एमएस सिंघवी व महेश बोड़ा ने याचिका का कड़ा विरोध किया। कहा, संस्थाओं को अपने सदस्यों से जमाएं लेने का पूर्ण अधिकार है। ये आमजन से नहीं, बल्कि अपने सदस्यों से ही जमाएं लेती हैं। उन्हें जरूरत के हिसाब से कर्ज भी देती है। सदस्यों से राशि लेना बैंकिंग की श्रेणी में नहीं आता है।
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