चिटफंड कारोबार पर RBI चिंतित, वित्त सचिव को किया तलब
रायपुर. गैर बैंकिंग कंपनियों के चिटफंड कारोबार पर भारतीय रिजर्व बैंक ने चिंता जताई है। कारोबार पर नियंत्रण और लोगों को ठगी से बचाने की गरज से केंद्रीय बैंक ने सभी राज्यों के वित्त सचिवों को तलब किया है।
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन 25 मई को वित्त सचिवों के साथ बैठक कर इस कारोबार के खतरों और नियंत्रण के उपायों पर चर्चा करेंगे।
बताया जा रहा है कि वित्त सचिव अमित अग्रवाल इस बैठक में भाग लेंगे। साथ ही इस बैठक में कुछ सख्त उपायों पर फैसला हो सकता है। देशभर में चिटफंड कंपनियों की ठगी के शिकार निवेशकों की बाढ़ को देखकर रिजर्व बैंक पहले भी राज्य सरकारों को कार्रवाई के लिए लिख चुका है। इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक ने एक गाइडलाइन भी जारी की है। प्रदेश के करीब 16 जिलों में एेसी कंपनियां निवेशकों का करोड़ों रुपया ठग कर चंपत हो चुकी हैं।
सरकार को नहीं सूझ रहा उपाय
निवेशकों को ठगी से बचाने के लिए सरकार को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। दिसंबर 2013 में वित्त विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव डीएस मिश्रा ने चिटफंड विनियमन अधिनियम के प्रावधानों से इसे रोकने की कोशिश की थी। इसके तहत पंजीयक चिट की नियुक्ति हुई। कारोबार करने वाली कंपनियों को इसमें पंजीयन अनिवार्य किया गया। मौजूदा कारोबारी मॉडल पर लागू नहीं होने की वजह से किसी कंपनी ने इसमें अपना पंजीयन नहीं कराया। इससे पहले सरकार 2005 और 2012 में छत्तीसगढ़ राज्य जमाकर्ता हित संरक्षण विधेयक पारित कर चुकी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के अभाव में यह कानून नहीं बन पाया है।
पांच वर्षों में 124 मामले
गृह विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 2010 से पिछले साल तक चिटफंड कंपनियों के खिलाफ 124 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से सर्वाधिक 35 मामले 2014 में दर्ज हुए। 2010 में 24, 2011 में 30, 2012 में 17 और 2013 में 18 मामले दर्ज किए गए। अनुमान है कि इन वर्षों में गैर बैंकिंग चिटफंड कारोबारी निवेशकों से साढ़े चार हजार करोड़ से अधिक की रकम ठग चुके हैं।
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