फोन से CBI पर दबाव बनाने के आरोपी गृह सचिव अनिल गोस्वामी हटाए गए, एल सी गोयल देश के नए गृह सचिव
नई दिल्ली: सारदा घोटाले में आरोपी एवं केंद्र में मंत्री रह चुके कांग्रेस नेता मतंग सिंह की गिरफ्तारी में अड़ंगा लगाने की कथित कोशिश के मुद्दे पर पैदा हुए विवाद के बाद केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी को आज बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
पूर्व गृह सचिव अनिल गोस्वामी को पद से हटाए जाने के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सीबीआई ने जब मतंग सिंह को सीबीआई के कोलकाता दफ्तर में बुलाया था तो मतंग सिंह ने गिरफ्तारी से पहले अपने फोन से गृह सचिव को फोन किया था. जिसके बाद उसी फोन पर गृह सचिव ने सीबीआई अफसरों से बात की जो रिकॉर्ड की जा रही थी. यही फोन गोस्वामी को हटाये जाने के लिए फंदा बना.
मतंग सिंह ने सीबीआई से कहा कि मेरे बड़े लोगों से संबंध हैं. मतंग सिंह ने सीबीआई अधिकारियों से कहा कि मैं अपने फोन का इस्तेमाल करना चाहता हूं. सीबीआई ने आपत्ति की तो मतंग सिंह ने कहा कि, ”आपने मुझे अभी गिरफ्तार नहीं किया है, मुझे अपना फोन इस्तेमाल करने का अधिकार है.” फिर मतंग सिंह ने अनिल गोस्वामी को फोन किया. मतंग सिंह ने अपने फोन से गोस्वामी की बात सीबीआई अधिकारी से भी कराई. चूंकि मतंग सिंह का फोन पहले से ही सर्विलांस पर था इसलिए कॉल रिकॉर्ड हो गई. सीबीआई ने ये रिकॉर्डिंग गृह मंत्रालय के सामने पेश कर दी जिसे पीएमओ के सामने रखा गया. आखिरकार ये रिकॉर्डिंग ही गोस्वामी की कुर्सी जाने की वजह बनी.
एल.सी. गोयल नए गृह सचिव
साल 1979 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी और अभी ग्रामीण विकास सचिव के पद पर तैनात एल सी गोयल को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने दो साल की अवधि के लिए नया गृह सचिव नियुक्त किया है. देर रात हुई एक आधिकारिक घोषणा के मुताबिक उनका कार्यकाल उनके पदभार ग्रहण करने की तारीख से प्रभावी होगा. साल 1978 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के अधिकारी गोस्वामी को जब इस्तीफा देने के लिए कहा गया तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से स्वैच्छिक सेवानिवृति देने का अनुरोध किया और सरकार ने उनका अनुरोध मान लिया.
घोषणा के मुताबिक, ‘‘अनुरोध मान लिए जाने के बाद अब गृह सचिव के तौर पर गोस्वामी के कार्यकाल में तत्काल प्रभाव से कटौती हो गई है.’’ गोस्वामी को यूपीए सरकार ने 2013 में गृह सचिव नियुक्त किया था. वह पिछले महीने 60 साल के हुए थे और उनका कार्यकाल 30 जून तक था. विदेश सचिव पद से सुजाता सिंह को हटाए जाने के बाद पिछले एक हफ्ते में यह दूसरे शीर्ष नौकरशाह को हटाए जाने की घटना है. सुजाता ने जब पद से इस्तीफा देने से इनकार किया था तो बुधवार को उनकी सेवा में कटौती कर दी गई थी. पूर्व विदेश सचिव के खिलाफ किसी कदाचार का आरोप तो नहीं था लेकिन बताया जाता है कि सरकार मंत्रालय में उनकी अगुवाई से खुश नहीं थी.
गृहमंत्री ने किया था तलब
गोस्वामी को पद पर बनाए रखना उस वक्त मुश्किल हो गया जब उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष माना कि उन्होंने शनिवार को कोलकाता में मतंग सिंह की गिरफ्तारी से पहले सीबीआई अधिकारियों से बात की थी. मतंग सिंह की गिरफ्तारी में गोस्वामी के दखल से सीबीआई नाखुश थी. एजेंसी ने इस मुद्दे पर गोस्वामी और सीबीआई के एक संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी के बारे में पीएमओ को एक रिपोर्ट दी थी.
मंगलवार को दिल्ली पहुंचे राजनाथ ने गोस्वामी से बात की थी. गोस्वामी ने बातचीत में कबूल किया कि उन्होंने सारदा घोटाले की जांच कर रहे अधिकारियों को सिंह की गिरफ्तारी के मामले में फोन किया था. मंत्री ने मंगलवार रात इस मुद्दे के बारे में प्रधानमंत्री को बताया था. बुधवार को उन्होंने सीबाआई निदेशक अनिल सिन्हा के साथ बैठक के बाद गोस्वामी को मुलाकात के लिए बुलाया. दोनों अधिकारियों ने गृह मंत्री से अपनी मुलाकात के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. साल 1978 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के अधिकारी गोस्वामी को यूपीए सरकार ने 2013 में गृह सचिव के पद पर नियुक्त किया था.
बताया जाता है कि गोस्वामी असम के विवादित नेता मतंग सिंह के काफी करीब थे. मतंग सिंह पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में गृह राज्य मंत्री के पद पर थे. मंतग सिंह का नाम पश्चिम बंगाल के शारदा घोटाले में आया था. हालांकि सीबीआई ने आखिरकार मतंग सिंह को गिरफ्तार कर ही लिया.
कांग्रेस ने पीएम मोदी को बताया तानाशाह
कांग्रेस प्रवक्ता पी. सी. चाको ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों की ‘‘बर्खास्तगी’’ से नौकरशाही में भी ‘‘अकुलाहट’’ है. उन्होंने कहा, ‘‘यह पहली घटना नहीं है जो दिखाती है कि प्रधानमंत्री तानाशाह बन रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों को बख्रास्त किया जाना सिर्फ भीषण आपदा की शुरूआत है. नौकरशाही भी अकुला रही है. हमारे पास कई खबरें हैं.’’
चाको ने कहा कि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के इस्तीफे के बाद सरकार के पास कहने को कुछ नहीं था बल्कि वह कमजोर बहाने बना रही थी. उन्होंने कहा, ‘‘वे सभी बहुत सम्मानित व्यक्ति हैं और उनका किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है.उन्होंने स्वतंत्रता पूवर्क काम करने की अनुमति नहीं मिलने पर इस्तीफा दिया. काम करने का वातावरण और स्वतंत्रता वहां नहीं थी. इस कारण उन्होंने इस्तीफा दिया. सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी.’’
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