सहारा के निवेशको को ढ़ुढ़ने मे सेबी हूई खस्ता-हाल
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सेबी काफी लम्बे समय से सहारा के सही निवेशको को ढ़ुढ़ने के प्रयास मे लगी हूूई है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया बाजार नियामक के लिए काफी महंगी साबित भी हूई है। अनुमान लगाया जा रहा है की इस पुरी प्रक्रिया मे सेबी का खर्च इस चालू वित्त वर्ष में 60 करोड़ रुपये रहेगा, साथ अगले वित्त वर्ष तक बढ़ने की आशंका है।यह मामला निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपए 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ लौटाने से जुड़ा हूआ था। उच्चतम न्यायालय ने मामले को गम्भीरता से लेते हुऐ अगस्त, 2012 में सहारा से कथित तौर पर कहा था कि वह सभी दस्तावेज के साथ-साथ पैसा सेबी के पास जमा करवाऐं जिससे कि निवेशको का पैसा उन्हे वापस मिल सके।
सूत्रों के मुताबिक सेबी की ओर से आशंका जताई जा रही है कि सहारा की तरफ से जमा कराऐ हूऐ दस्तावेजो को संभालने के लिए 2014-15 तक सेबी का खर्च बढ़ सकता है, क्योंकि इनमे से कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दिए जा सकते हैं। जिसमे प्रोपर्टी डीड्स के अलावा स्कैंड दस्तावेज शामिल हैं।उच्चतम न्यायालय ने सहारा को निर्देश देते हूऐ कहा है कि रिफंड की प्रक्रिया में सेबी द्धारा किऐ गऐ खर्चे को सहारा अदा करेगा।
कई माह बीत जाने के बाद सहारा ने अंत मे सेबी के पास 5.28 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेज जमा कराए थे। सहारा समूह ने जो दस्तावेज दिए थे उनकी कोई ठीक प्रकार से जानकारी भी नही दी थी। सेबी ने सभी दस्तावेजों की स्कैनिंग का काम पूरा कर इनकी कंप्यूटर फाइल्स बनाई गई हैं जो कि 70 टेराबाइट्स यानी करीब 20 करोड़ इमेज की हैं। इस तरह की स्टोरेज क्षमता की हार्डडिस्क में लगभग तीन करोड़ से ज्यादा गाने स्टोर किए जा सकते हैं।
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