सुब्रत राय को नहीं मिली ज़मानत, सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के लिए रखी शर्तें
उच्चतम न्यायालय ने जेल में बंद सहारा प्रमुख सुब्रत राय की रिहाई के लिए आज 5,000 करोड़ रुपये नगद जमा करने और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी देने को कहा।
बहरहाल, राय जेल में हैं और उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय से कहा कि 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करना मुश्किल है क्योंकि वित्तीय संस्थानों में से एक संस्थान अपने वादे से पीछे हट गया है।
न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा ‘‘हमने बैंक गारंटी के फार्मेट को कुछ शर्तों के साथ स्वीकार कर लिया है।’’ न्यायालय ने 4 मार्च 2014 से तिहाड़ जेल में बंद 65 वर्षीय राय से सेबी को 18 माह में 36,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा। यह राशि राय की रिहाई की तारीख से नौ किस्तों में दी जाएगी। अगर राय भुगतान की दो किस्तें नहीं दे पाते हैं तो उस स्थिति में न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी को सहारा प्रमुख द्वारा दी गई बैंक गारंटी कैश करने की अनुमति दे दी।
पीठ ने आगे कहा कि अगर राय तीन किस्तों का भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें जेल जाने के लिए आत्मसमर्पण करना होगा। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा ‘‘हम उन्हें (राय और जेल में बंद दो अन्य निदेशकों को) उनका पासपोर्ट अदालत में जमा करने का आदेश देते हैं। उन्हें इस अदालत की पूर्व अनुमति लिए बिना देश से बाहर नहीं जाना चाहिए।’’
साथ ही न्यायालय ने राय को देश में अपनी गतिविधियों के बारे में हर पंद्रह दिन में तिलक मार्ग पुलिस थाने को अवगत कराने के लिए भी कहा। साथ ही पीठ ने राय को जेल में दी गई टेलीफोन और इंटरनेट जैसी सुविधाओं की अवधि भी आठ सप्ताह तक बढ़ा दी। इससे पहले, 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए न्यायालय ने सहारा प्रमुख के वकील को दो सप्ताह में एक ‘योजना’ पेश करने के लिए कहा था, जिसमें यह बताया जाए कि समूह का अपनी संपत्ति की बिक्री करने और सेबी को भुगतान करने की दिशा में आगे बढ़ने का क्या प्रस्ताव है।
उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को कहा था कि समूह को तीन माह में जमाकर्ताओं के 24,000 करोड़ रुपये 15 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने होंगे। पूर्व में न्यायालय ने कहा था कि अगर जेल से राय की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सहारा समूह 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने की शर्त का पालन कर भी ले तो इसके निवेशकों को समूह द्वारा जिस कुल राशि का भुगतान किया जाना है उसे लेकर विवाद का हल करने की जरूरत है।
रकम के भुगतान का मुद्दा इसलिए उठा क्योंकि लौटाई जाने वाली राशि को लेकर सहारा के दावे को नकारते हुए सेबी ने कहा कि राय के समूह की लौटाई जाने वाली रकम को लेकर विरोधाभास है और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय अतीत में इस पर सहमत नहीं हुआ था। उच्चतम न्यायालय ने 23 मार्च को ‘‘प्रथम दृष्टया संतुष्टि’’ जताते हुए सहारा समूह को उसकी दूसरे देशों में मौजूद संपत्ति बेचने और राय की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की खातिर तीन माह का समय दिया था।
पीठ ने कहा था कि बातचीत असफल होने की स्थिति में समूह की संपत्ति को एक ‘कोर्ट रिसीवर’ की नियुक्ति कर नीलाम किया जाएगा। इसके अलावा न्यायालय ने सहारा की नियमित जमानत के लिए 10 हजार करोड़ रुपए जुटाने के इरादे से सहारा समूह के तीन लग्जरी होटल – न्यूयार्क स्थित ड्रीम डाउनटाउन तथा द प्लाजा और लंदन स्थित ग्रोसवेनर हाउस के संभावित खरीदारों के साथ बातचीत करने के उद्देश्य से राय को तिहाड़ जेल के कॉन्फ्रेंस रूम का उपयोग करने की एक अगस्त 2014 को दी गई अनुमति की अवधि भी बढ़ा दी।
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