1980 से लेकर अब तक की चिटफंड कंपनियों पर विधानसभा में होगी चर्चा
कोलकाता: सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस विधानसभा में बुधवार को नियम 194 के तहत बंगाल में चिटफंड को लेकर बुधवार को गैर सरकारी प्रस्ताव लायेगी, हालांकि प्रस्ताव पर वोट का प्रावधान नहीं है, लेकिन वर्तमान स्थिति में विधानसभा में चिटफंड पर चर्चा राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को बजट सत्र के अंतिम दिन सरकार की ओर से गैर सरकारी प्रस्ताव लाया जायेगा. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए चिटफंड मामले पर विधानसभा में बहस की बात कही थी.
हालांकि सत्तारूढ़ दल तृणमूल द्वारा 1980 से लेकर 2011 तक (सत्ता में आने के पहले) चिटफंड कंपनियों पर प्रस्ताव लाने का बात कही थी. इस संबंध में संसदीय मामलों के सचिव व विधायक तापस राय कांग्रेस विधायक दल नेता मोहम्मद सोहराब व विधानसभा में विरोधी दल नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र से मुलाकात की और सर्वसम्मति से प्रस्ताव की बात कही. कांग्रेस ने चर्चा 2011 की जगह अभी तक कराने का प्रस्ताव रखा, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया.
वहीं, वाम मोरचा इस प्रस्ताव पर बहस में हिस्सा लेगा, लेकिन प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मानने की बात से इनकार कर गया. दूसरी ओर, भाजपा विधायक शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि सारधा चिटफंड मामले पर सरकार फंसती जा रही है. सरकार के मंत्री सारधा चिटफंड मामले में गिरफ्तार हैं, लेकिन उनका मंत्री पद बरकरार है. इस मामले में 100 लोग आत्महत्या कर चुके हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने का निर्देश दिया है,लेकिन सत्तारूढ़ दल द्वारा इसमें बाधा दिया जा रहा है. वहीं माकपा के शासनकाल में चिटफंड कंपनियां बढ़ीं.
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