28 चिट फंड कंपनियों की CBI करे जांच – हाइकोर्ट
रांची : राज्य के विभिन्न जिलों में लोगों के करोड़ों रुपये लेकर भागनेवाली 28 नन बैंकिंग कंपनियों (चिट फंड कंपनियों) के खिलाफ सीबीआइ जांच होगी. झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को इससे संबंधित आदेश दिया. साथ ही आयकर, प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और राज्य सरकार को जांच में सीबीआइ को सहयोग करने का निर्देश दिया. मांगे जाने पर सीबीआइ को जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराने को कहा.
जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया. वैज्ञानिक तरीके से हो जांच : खंडपीठ ने कहा : सीबीआइ वैज्ञानिक तरीके से पूरे मामले की जांच करे, ताकि गड़बड़ी करनेवाले पकड़े जा सके. गरीबों की गाढ़ी कमाई को जमा लेकर हड़प लिया गया है. यह जमाकर्ताओं के साथ विश्वासघात करने जैसा है. इस बात की जानकारी आयकर निदेशालय को भी नहीं है. यह गड़बड़ी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की हो सकती है.
इस मामले के तार कई राज्यों व विदेशों से भी जुड़े हो सकते हैं. इसलिए इस मामले में गहन छानबीन की जरूरत है. आरोपी जहां भी हों, उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाये. कोर्ट में सीबीआइ की ओर से कहा गया कि यदि अदालत जांच करने को कहेगी, तो वह तैयार है.
क्या कहा कोर्ट ने
-आयकर, प्रवर्तन निदेशालय और राज्य सरकार करे सीबीआइ को सहयोग
– मांगे जाने पर सीबीआइ को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये सरकार
– 25,000 करोड़ से अधिक की हो सकती है गड़बड़ी
– मामले का तार कई राज्यों व विदेशों से जुड़े हो सकते हैं
– मामले में गहन छानबीन की जरूरत
इन कंपनियों के खिलाफ होगी जांच
सुराहा माइक्रो फाइनांस, सनप्लांट एग्रो ग्रुप, प्रयाग इन्फोटेक हाइराइज लि, साई प्रसाद प्रोपर्टीज लि, फेडरल एग्रो कॉमर्शियल लि, गुलशन निर्माण इंडिया लि, तिरूबालाजी राइजिंग रियल इस्टेट प्रालि, अलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लि, धनोलिटी डेवलपर्स लि, कोलकाता वेयर इंडस्ट्रीज लि, संकल्प ग्रुप ऑफ कंपनीज, वियरेड इंफ्रा स्ट्रक्चर्ड कॉरपोरेशन लि, रूपहर्ष मार्केटिंग लि, सनसाइन ग्लोबल एग्रो लि, रामाल इंडस्ट्रीज लि, इनोरमस इंडस्ट्रीज लि, एक्सेला इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट लि, गीतांजलि उद्योग लि, एमपीए एग्रो एनिमल्स प्रोजेक्टस लि, जुगांतर रियलिटी लि, एटीए ग्रुप ऑफ कंपनीज, केयर विजन म्यूचुअल बेनिफिट लि, मातृभूमि मेन्यूफेक्चरिंग मार्केटिंग (आइ) लि, रोज वैली होटल्स एंड इंटरटेनमेंट लि, वर्धमान सम्मार्ग वेलफेयर सोसाइटी, अपना परिवार एग्रो फार्मिग डेवलपर्स लि, वारिस ग्रुप एंड अर्शदीप फाइनांस लि, कमल सिंह एंड कंपनी
किसने दायर की थी याचिका
प्रार्थी झारखंड अगेंस्ट करप्शन की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी ने नन बैंकिंग कंपनियों (चिट फंड) पर जमा हजारों करोड़ रुपये लेकर भाग जाने का आरोप लगाया था. हाइकोर्ट ने फैसला सुना कर जनहित याचिका निष्पादित कर दी.
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को बताया कि देवघर में 27 चिट फंड कंपनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. उनके खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जा रही है. उपायुक्त को एसपी ने रिपोर्ट भेज दी है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देवघर में आर्थिक अपराधों की सुनवाई के लिए कोई विशेष अदालत नामित नहीं है. मामले के अनुसंधानकर्ता ने पत्र लिख कर आर्थिक अपराधों के विशेषज्ञों की टीम गठित करने का आग्रह किया था. अपर महाधिवक्ता ने नन बैंकिंग कंपनियों की सूची सौंपते हुए खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार के पास आर्थिक अपराधों की जांच के लिए विशेषज्ञता नहीं है. जांच सीबीआइ से करायी जा सकती है.
प्रार्थी का पक्ष
प्रार्थी की ओर से अदालत में कहा गया कि सैकड़ों चिट फंड कंपनियों ने लोगों के हजारों करोड़ रुपये जमा लिये और इसे हड़प लिया. देवघर में ही 27 कंपनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. एक अकेले अलकेमिस्ट कंपनी ने लोगों के 1600 करोड़ रुपये से अधिक हड़प ली है. पुलिस सही तरीके से जांच नहीं कर रही है.
दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं, जिनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. जादुगोड़ा क्षेत्र में कमल सिंह एंड कंपनी ने भी लोगों से हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है. इस कंपनी के खिलाफ पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज की है. प्रार्थी की ओर से मामले की सीबीआइ जांच कराने का आग्रह किया गया.
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