पिछले कुछ सालों के दौरान कॉर्पोरेट धोखाधड़ी में बढ़ोतरी का केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) ने ठीकरा नियामकों पर्दाफास करते हुए कहा है कि नियामक प्रणाली की अनदेखी के कारण बैंकों को 29 हजार करोड़ रुपए से अधिक का चूना लगा है।
15 साल के दौरान कंपनियों के प्रोमोटर, प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारी और निवेशकों द्वारा कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के मामले काफी बढ़ गए है। यह बात सी.बी.आई. निदेशक रणजीत सिंहा ने आयोजित एक कार्यक्रम में कहा।
31 मार्च 2013 तक के आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के बैंकों ने धोखाधड़ी के एक लाख 69 हजार मामले दर्ज हुए है।जिनमें उन्हें कुल लगभग 29 हजार का चूना लगा है। सिंहा ने बताया कि इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को 22 हजार 743 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है।सिंहा के मुताबिक इसके अलावा बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एन.पी.ए.) में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल 31 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एन.पी.ए. 164462 करोड़ रुपए था जिसके इस साल तक और बढऩे की आशंका है।
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