800 करोड़ का घोटालेबाज पुष्पेंद्र सिंह बघेल गिरफ्तार
भोपाल। साईं प्रकाश ऑर्गेनिक फूड्स लिमिटेड और साईं प्रकाश प्रॉपर्टी डेवलपमेंट लिमिटेड कंपनी के संचालक को एमपी नगर पुलिस ने इंदौर से गिरफ्तार किया है।
इन दोनों कंपनियों का नेटवर्क पांच राज्यों में है। पुलिस का दावा है कि केवल मध्यप्रदेश में ही 3000 से ज्यादा लोगों से डिपॉजिट के जरिए करीब 100 करोड़ रुपए की ठगी की गई। ये वही कंपनी हैं, जिनके खिलाफ सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की जांच में करीब 800 करोड़ का घपला सामने आया था।
कंपनी संचालक मूलत: शहडोल निवासी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह बघेल है। 12वीं पास पुष्पेंद्र ने आईटीआई के बाद एक कंपनी में नौकरी से शुरुआत की लेकिन पिछले 10 सालों में अपनी कंपनियों का नेटवर्क खड़ा कर लिया। सीहोर के 30 वर्षीय रमेश वर्मा समेत 37 अन्य लोगों ने पुष्पेंद्र के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की थी।
एएसपी रियाज इकबाल के मुताबिक इसे आधार बनाकर एमपी नगर पुलिस ने बीती 18 अप्रैल को मामला दर्ज किया। पुलिस ने कंपनी के रणविजय सिंह, मृगेंद्र सिंह बघेल, धीरेंद्र सिंह, पुष्पांजलि और शैलेंद्र सिंह को भी आरोपी बनाया। गुरुवार को पुलिस को पता चला कि पुष्पेंद्र इंदौर के राजेंद्र नगर क्षेत्र में कंपनी की एक बैठक के सिलसिले में मौजूद है। पुलिस ने उसे वहां पहुंचकर गिरफ्तार कर लिया।
कारिंदों से चलवा रहा था कारोबार
ग्वालियर। साई प्रसाद फूड्स ने ग्वालियर से अपनी ब्रांच शुरू की थी। लेकिन यहां पर पुष्पेंद्र सिंह सीधे तौर पर सामने नहीं आया था। बल्कि अपने कारिंदों से कंपनी की ब्रांच संचालित करवा रहा था। विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र में इसकी कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। टीआई मदन मोहन मालवीय का कहना है कि उनके यहां पर जो मामला दर्ज है उसमें पुष्पेंद्र सिंह आरोपी नहीं है बल्कि कंपनी के अन्य चार पदाधिकारी आरोपी बने हैं। फिलहाल इनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
जिस कंपनी में नौकरी शुरू की, वह भी ब्लैकलिस्ट
एएसपी के मुताबिक पुष्पेंद्र ने 12वीं पास करने के बाद आईटीआई किया। वर्ष 2005 में वह पीएसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी में छोटा मुलाजिम था। सेबी ने इस कंपनी को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया। इसके बाद उसने वर्ष 2009 में अपनी कंपनी शुरू कर ली। रीवा, नोएडा और भोपाल में उसके नाम से करोड़ों की प्रॉपर्टी होने का पता पुलिस को चला है। उसके खिलाफ वर्ष 2013 में कानपुर के फैजलगंज थाने में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज हुआ, लेकिन कुछ दिनों बाद ही जमानत मिल गई थी।
सेबी ने ब्लैकलिस्ट किया तो सोसाइटी बना ली
पुष्पेंद्र ने दोनों कंपनियां वर्ष 2009 में ग्वालियर से शुरू की थीं। इनकी शाखाएं मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उप्र और झारखंड तक फैली हैं। अब तक केवल मप्र में तीन हजार से ज्यादा लोगों से करीब सौ करोड़ रुपए के डिपाॅजिट का खुलासा हुआ है। अन्य राज्यों में निवेशकों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। वर्ष 2013 में दोनों कंपनियों की जांच सेबी ने भी की थी। अप्रैल 2014 में सेबी ने दोनों कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया। साथ ही निर्देश दिए कि इस कंपनी के संचालक अब न तो किसी से रकम जमा करा सकते और न ही कोई दूसरी कंपनी खोल सकते हैं।
सेबी ने आठ सौ करोड़ रुपए का घपला करार दिया था। कंपनियों के ब्लैकलिस्ट होने के बाद वर्ष 2013 में पुष्पेंद्र ने चंबल-मालवा चिटफंड सोसायटी रजिस्टर्ड करा ली। इसमें 21 मेंबर हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए आरोपी ने ग्वालियर का पता दिया और इसका हेड ऑफिस नोएडा में बनाया। इस कंपनी की शाखाएं भी मप्र, उप्र और राजस्थान में खोली गईं। पुलिस को अब तक सौ लोगों की जमा रकम का रिकॉर्ड मिल चुका है। इसमें भी बीस करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हैं।
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