FIR के दो साल बाद भी नन बैंकिंग कंपनियों पर कार्रवाई नहीं, जांच धीमी, नन बैंकिंग वाले मस्त
देवघर: संतालपरगना में नन बैंकिंग के चक्कर से लोगों को निजात मिली है. लेकिन अभी भी चोरी छिपे कई कंपनियां कारोबार चला रही है. ये कंपनियां अपने ग्राहकों से यह कह कर कारोबार कर रही है कि कारोबार होगा तभी तो आपकी जमा पूंजी वापस होगी. एफआइआर के बाद भी संतालपरगना की तकरीबन 238 नन बैंकिंग कंपनियों की शाखाओं के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
जिला प्रशासन ने सिर्फ एफआइआर करवाकर चुप्पी साध ली है. जांच इतनी सुस्त है कि नन बैंकिंग से जुड़े अधिकारियों और कर्मियों के हौसले बुलंद हैं.वहीं अभी भी अपनी डूबी हुई राशि वापस पाने की लालसा में लोग उनके झांसे में आ रहे हैं.
ननबैंकिंग कंपनियों के पास है जनता का 900 करोड़
इस जाल में यहां के गरीब जनता की गाढ़ी कमाई फंसी है. पूरे संतालपरगना की बात करें तो यहां तकरीबन 238 नन बैंकिंग कंपनियों के कार्यालयों में छापेमारी हुई. 238 कार्यालयों को सील किया गया. इनमें से 58 कंपनियां देवघर की है. इन कंपनियों के पास संतालपरगना का तकरीबन नौ सौ करोड़ जमा है. सिर्फ देवघर में इन कंपनियों ने लगभग 100 करोड़ का कारोबार किया है. मधुपुर अनुमंडल में तकरीबन 31 ननबैंकिंग कार्यालयों में छापेमारी हुई थी. लेकिन लगभग दो साल बीतने को है, एसडीओ के प्रयास के बावजूद आज तक एफआइआर नहीं हो पाया है. जबकि एफआइआर का आदेश गृह विभाग ने दे दिया था. उसके बाद भी देवघर में ननबैंकिंग पर कार्रवाई का ये हाल है.
नन बैंकिंग कंपनियों पर आरोप
सभी ननबैंकिंग कंपनियां अवैध रूप से लोगों से लोक जमा स्वीकार करने के दोषी पाये गये हैं. ये कंपनियां रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 193 (एक्ट नं-2 ऑफ 1934) की धारा 58बी, द सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया एक्ट 1992 (एक्ट न-15 ऑफ 1992) की धारा 15 (ए), 15(सी), 15(डी), 15(इ), 15(एफ), 15(जी), 15(एच), 15(एचए), 15(एचबी), द कंपनी एक्ट 1956 की धारा 59, द प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 8 एवं 10, प्रीवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रींग एक्ट 2002 की धारा 4 के उल्लंघन के दोषी हैं. इन लोगों ने झूठे प्रलोभनों व षडय़ंत्र कर तथा गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर अवैध वसूली किया है.
नन बैंकिंग कंपनियों पर जो धाराएं लगी
नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ द प्राइज चीट्स एंड मनी सकरुलेशन स्कीम (बैनिंग) एक्ट 1978 (एक्ट नं-33 ऑफ 1978) की धारा 4 व भादवि की धारा 120, 420, 426 व 465 के तहत एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई करें. कंपनी के प्रबंध निदेशक/प्रमोटर/बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स/प्रबंधक सहित अन्य पर मामला दर्ज कराया गया है.
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