देश मे डायरेक्ट सेलिंग और आॅनलाइन के बढ़ते कारोबार को देखते हुए केंद्र सरकार इन कारोबार पर निगरानी रखने के लिए एक नियामक गठन करने पर विचार विर्मश कर रही है, जिसके लिए सरकार ने अंतर मंत्रालए समिति का गठन भी किया है, जो कि Direct Selling को लेकर नियम बनाएगी, जिसके लागू होते ही यह नियामक Direct Selling कारोबार पर नज़र रखेगी।
ऑल इंडिया ट्रेडर्स परिसंघ (CAIT) ने सरकार से अलग कानून तैयार करने व विनियमित करने और देश मे Direct Selling के कारोबार पर नज़र रखने के लिए सरकार से कहा है। भारत मे प्रत्यक्ष बिक्री व्यपार स्वरोजगार का एक साधन है और साथ ही यह ई-काॅमर्स की तरह खुदरा व्यपार के रूप मे भी माना जाना चाहिए। इसके साथ ही इस व्यापार मे लगभग 50 प्रतिशत प्रत्यक्ष बिक्री के कारोबार मे अधिकांश घरेलू महिलाएं है, जो कि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रहा है। एक और खास बात है इस कारोबार मे असली निर्माता व धोखाधडी करने वालो कि पहचान नही हो पाती जो कि जरूरी है, जिसके अभाव मे लोग ठगी का शिकार हो जाते है,लेकिन इनकी पहचान एक नियामक ही कर सकता है। इसके साथ ही वह उपभोक्ता के हितो को भी प्राथमिकता देने मे कारगार साबित होगा।
हाल ही मे कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स,कैट ने जेटली को भेजे अपने बजट पूर्व ज्ञापन में कुछ अहम मांगें की हैं।
क्या हैं कैट की मांगे
- ई कॉमर्स में एफडीआई को अनुमति न देने की स्पष्ट घोषणा हो।
- इसके साथ ही ई कॉमर्स और Direct Selling व्यापार के लिए नियम एवं कायदे कानून बनाए जाएं।
- देश में नकद रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना मकसद हो।
- क्रेडिट डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग कीअधिकतम उपयोग हेतु बजट में एक प्रोत्साहन स्कीम की घोषणा।
- मुद्रा बैंक का धनाभाव से ग्रसित लोगों तक पहुंचना बहुत जरूरी है।
- संसद में एक कानून लाकर एक रेगुलेटर बनाया जाए।
- मुद्रा योजना में देशभर में व्यापारी संगठनों को जोड़ा जाए।
- इससे वास्तविक लोगों को मुद्रा ऋण आसानी से मिल सकेगा।
- जीएसटी कर प्रणाली को देशभर में एक किया जाए।
- एक अथॉरिटी सभी राज्यों में समान कानूनए समान कर हटें।
- साथ ही अंर्तराज्यीय व्यापार में लागू सभी प्रकार के रोड परमिट और एंट्री फार्म समाप्त हो, आदि।
- जिन कानूनों में संशोधनों की आवश्यकता है उनमेंसंशोधन किये जायें।
- कैट ने यह भी मांग की है कि रिटेल सेक्टर को अत्याधुनिक और उच्चस्तरीय बनाया जाए। रिटेल व्यापार की जमीनी हकीकत और परेशानियों को समझना जरूरी है।
- इसके लिए अधिकारियों एवं व्यापारियों की एक संयुक्त समिति गठित की जाए। फ्री ट्रेड जोन और स्पेशल इकोनोमिक जोन की तर्ज पर रूरल इकोनोमिक जोन बनाया जाए।
- ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाले व्यापारियों को पांच वर्ष तक सभी करों में छूट मिलनी चाहिए। 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यापारियों को पेंशन दी जानी चाहिए। यह पेंशन उनके द्वारा एकत्र किये गये कर का एक हिस्सा हो सकती है।हाल ही KPMG के एक सर्वे के अनुसार भारत मे डायरेक्ट सेलिंग का कारोबार वर्ष 2025 तक 64,500 करोड़ का आंकडा पार कर सकता है। जिसमे डायरेक्ट सेलिंग मे सुरक्षा कि बेहद जरूरत है।
अगर आपके पास भी मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) से जुडी कुछ जानकारी है या फिर आप विचार शेयर करना हैं तो कमेंट बाक्स मे जाकर कमेंट कर सकतें हैं।
Leave a Reply