HBN के ठगी का शिकार लोगों को नहीं मिल रहा न्याय
महासमुंद। एचबीएन कंपनी के ठगी का शिकार हुए लोगों को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। लोगों को अधिक ब्याज का सब्जबाग दिखाकर रुपए वसूल कर यह कंपनी बीते कई महीनों से उड़न-छू हो गई, जिससे अब गरीब निवेशकों के पास जरूरत के लिए कोई भी पूंजी हाथ में नहीं है।
ऐसे निवेशकों से ठगी कर फरार हो चुकी कंपनी के जिम्मेदार लोगों की धरपकड़ कर निवेशकों की जमा राशि लौटाई नहीं जा रही है, जिससे मजबूर निवेशक व्यथित हैं। जबकि जिले के मेहनतकश, गरीब, मजदूर वर्ग ने अपनी मेहनत की कमाई को भविष्य की जरूरतों के लिए पाई-पाई जोड़कर एचबीएन कंपनी में अभिकर्ताओं के माध्यम से जमा कराया था।
फोरम में नहीं हो रही सुनवाई
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम में एचबीएन कंपनी के ठगी का शिकार हुए कुछ ग्रामीणों ने आवेदन लगाया है। लेकिन अब तक इनके आवेदनों पर सुनवाई प्रारंभ नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार उपभोक्ता फोरम में पर्याप्त गणपूर्ति नहीं है, जिसके चलते ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है। फोरम में अध्यक्ष व दो सदस्यों का पद है। जिस पर केवल एकमात्र सदस्य ही नियुक्त हैं।
जबकि अध्यक्ष व एक अन्य सदस्य की नियुक्त अर्से से नहीं हुई है। लिहाजा जिला उपभोक्ता फोरम से लोगों को उपभोक्ता विवादों पर न्याय नहीं मिल रहा है। फोरम में अध्यक्ष व सदस्य के रिक्त पदों पर नियुक्ति में लेटलतीफी के लिए जिला प्रशासन का खाद्य विभाग एवं राज्य सरकार जिम्मेदार है। जानकारी के अनुसार अप्रैल 2013 से फोरम में अध्यक्ष का पद रिक्त है।
जबकि इससे पूर्व ही फोरम के एक सदस्य की नियुक्ति समाप्त हो गई थी। फिलहाल एकमात्र सदस्य ही फोरम में हैं। किसी भी मामले की सुनवाई के लिए न्यूनतम गणपूर्ति की संख्या 2 है। लिहाजा सुनवाई प्रभावित है। जानकारी के अनुसार फोरम में सुनवाई के लिए करीब 100 मामले प्रतीक्षा में हैं, जो विभिन्न उपभोक्ता विवादों के हैं।
लोगों के अटके काम
एचबीएन अभिकर्ताओं ने ज्यादातर दिहाड़ी मजदूरों को अपना निवेशक बनाया। इन्हें से हर दिन 50, 100 रुपए की वसूली कर एचबीएन कंपनी में पैसा जमा कराया। मेहतनकश लोग भी हरदिन की कमाई को भविष्य के लिए सुरक्षित रखने यहां निवेश किया। लेकिन जरूरत पड़ने पर कंपनी भाग गई। स्टेशन रोड निवासी शांति ने बताया कि घर-घर काम कर बेटी की शादी के लिए कंपनी में पैसा जमा कराया। लेकिन शादी की तारीख तय हुई और पैसे निकालने की बात आई, तब कंपनी गायब हो गई। बेटी की शादी के लिए शांति को परिचितों से उधार लेना पड़ा। इसके अलावा कई लोगों के काम पैसे के अभाव में टल गए।
साढ़े तीन लाख फंसा
चाय बेचकर आजीविका चलाने वाले राजाराम साहू ने बताया कि स्वयं और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से 18 खाता खुलवाया। मैचुअल होने तक ईमानदारी से बिना गेप किए पूरा पैसा जमा किया। लेकिन 14 जनवरी 2014 को मैचुअल की तारीख पूरी हुई। कंपनी के स्थानीय कार्यालय जाने पर बांड पेपर जमा करा लिया गया और एक टोकन दे दी गई। 14 महीना बीत गया है। लेकिन अब तक पैसे नहीं मिले। राजाराम को कंपनी से साढ़े 3 लाख रुपए की लेनदारी है।
ठगने वाली कंपनियों पर हो कार्रवाई
होटल कारोबारी कपिल रायचुरा ने भी एचबीएन में निवेश किया है। कपिल के 20 हजार रुपए जमा है, जो मैचुअल होने के बाद पिछले डेढ़ साल से नहीं मिला है। कपिल का कहना है कि पुलिस को शुरुआत महीनों में ही एचबीएन के गतिविधियों की जानकारी मिल गई थी। लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अब कंपनी के जिम्मेदार लोग गायब हैं। गरीबों की मेहनत की कमाई ठग ली गई है और प्रशासन उदासीन है। एचबीएन की तरह ही कई कंपनी इस शहर में संचालित हो रही है। यह कंपनी कब भाग जाए कोई ठिकाना नहीं। ऐसे कंपनियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
‘फोरम में अध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में प्रस्ताव भेजने मंत्रालय से पत्र प्राप्त हुआ है। इस पर क्या प्रगति है फाइल देखकर बता पाउंगा। सदस्य का प्रस्ताव मंत्रालय भेजा जा चुका है। नियुक्ति मंत्रालय से होनी है।’
-अमृत कुजूर, जिला खाद्य अधिकारी, महासमुंद
‘कलेक्टर जनदर्शन के माध्यम से एचबीएन के खिलाफ दो-तीन शिकायतें मिली है। जिस पर जांच जारी है। फिलहाल इस कंपनी का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी हमारी गिरफ्त में नहीं आया है। रायपुर से भी इस संबंध में सतत संपर्क साधे हुए हैं। जैसे ही कोई पकड़ में आता है तो कार्रवाई आगे बढ़ेगी।’
राजेश कुकरेजा, एएसपी, महासमुंद
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