भारत मे कई ऐसी चिटफंड़ कंपनियां है जो की अपनी मक्कारी का जाल फैला कर लोगो को लोभनीय स्कीम के माध्यम से बड़ी ही आसानी के साथ से चुना लगाने के बाद चम्पत हो जाते है। ऐसा ही एक सनसनी खेज मामला पाथाखेड़ी से सामने आया है जहां मिनी इंडिया के नाम से संचालित चिटफंड़ कंपनी लोगो से उनकी गाढ़ी कमाई लेकर फरार हो गई है और उसके संचालको का भी कोई सुराग नही मिला पा रहा है। मामले मे पीड़ीतो का कहना है कि उन्होने स्थानिए बंगाली बंधुओं पर भरोसा करके डबल पैसो के लोभ मे आकर करीब 120 करोड रुपए गवां दिए हैं। इसके साथ ही स्थानीय पुलिस प्रशासन और बंगाली बंधुओं के करीबी दबी जुबां से कह रहे हैं कि संतोषदास एवं मंतोषदास पाथाखेड़ा छोड़कर चंद्रपुर में रहने लगे हैं और वहीं से अपना कारोबार चला रहे हैं।
निवेशको के मुताबिक बंगाली बंधुओ ने अप्रैल और मई-जून माह के भीतर मुनाफे सहित रकम लौटाने की बात कही थी। लेकिन जब अप्रैल माह का पखवाड़ा बीतने पर भी जब निवेशको को रुपया नहीं मिला तो एक बार फिर निवेशक सदमें में आ गए हैं। चिटफंड कंपनी संचालक के फरार होते ही उनके करीबी एजेंट निवेशको की ओर से कंपनी के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। निवेशको का दबाव बनता देख एजेंट क्षेत्र से बाहर जाने को मजबूर हो रहे हैं।
वैवाहिक कार्यक्रम मे अड़चन
जिन निवेशको ने ड़बल पैसो के लोभ मे आकर 5 से 10 लाख रुपए जैसी मोटी रकम चिटफंड़ कंपनी के हवाले की थी और वो रुपया ना मिलने की वजह से नोबत यह आ गई है कि उनके यहां आयोजित वैवाहिक कार्यक्रम भी रुक गए हैं। बंगाली बंधुओं से मिल रही डेडलाइन का हवाला देकर निवेशक अपने परिवार के लोगों का हौसला बढा रहे हैं। क्षेत्र में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने किराना व्यवसायी, ज्वैलर्स संचालक के माध्यम से चिटफंड कंपनी में लाखों रुपए निवेश किए थे। इसके एवज में बतौर व्यवसायी एजेंटों को मोटी रकम सप्ताह या माह में कमीशन के तौर पर मिलती था। अब निवेशक इन व्यवसायियों पर भी दबाव बनाने से पीछे नही हट रहे हैं।
स्थानिए बाज़ार मे भारी गिरावट
औद्योगिक नगरी सारणी, पाथाखेड़ा से चिटफंड कंपनी के फरार होने की वजह से यहां के बाज़ार की रफ्तार मानो थम सी गई हो। साल भर पहले पाथाखेड़ा के बाजार में तेजी से उछाल आने के कारण आसपास के क्षेत्रों की जमीनों की कीमत चार गुना बढ़ गई थी जो कि अब घटकर पहले से भी निचे गिर गई है। चिटफंड कंपनी फरार होने के बाद क्षेत्र बाजार पर इतना ज्यादा असर पड़ा है कि व्यापारी हाथ-पर हाथ धरे बैठकर ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। औद्योगिक नगरी सारणी, पाथाखेड़ा के हर दूसरे छोटे-बडे व्यवसायी का रुपया चिटफंड कंपनी में लगा था।
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