राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला NML जमशेदपुर के वैज्ञानिक डा. मनीष कुमार झा ने एक ऐसा तकनीक विकसित किया है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-कचरा) से सोना निकालना जा सकता है। हम जिस फोन को बेकार या कचरा समझ कर फेंक देते हैं उसमें सोना होता है।और बड़ी बात तो ये फोन जितना महंगा होगा उसमें सोने की मात्रा उतनी ही अधिक है मिलने की। डा. झा ने बताया कि देश के अलावा इस तकनीक को भारत के बाहर भी ट्रांसफर किया जा रहा है।
डा. झा के अनुसार, मोबाइल के अलावा म्प्यूटर के मदर बोर्ड और चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सोना, चांदी और प्लेटिनम जैसी मूल्यवान धातुएं होती हैं और इसकी जानकारी नहीं होने के कारण हम इसे फेंक देते है। डा. झा का कहना है कि अन्य अयस्कों की तुलना में सोने की मात्रा 100 गुनी ज्यादा होती है। सोने की (कंडक्टिविटी) ज्यादा होने के कारण ही मोबाइल की आवाज और कनेक्टिविटी स्पष्ट होती है।
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