PACL का हिमाचल में फर्जीवाड़ा जारी
प्रदेश के गौतम चेरिटेबल ट्रस्ट ने चिट फंड कंपनी घोषित हो चुकी देश की नॉमी पर्ल ग्रुप (पीएसीएल) द्वारा प्रदेश में बैक डेट पर की जा रही धन उगाही की शिकायत मुख्यमंत्री व सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से की है।
चेरिटेबल ट्रस्ट का कहना है कि प्रदेश में यह कंपनी अभी भी ग्राहकों को करीब साढ़े पांच वर्षों में पैसा डबल करने का झांसा देकर आरडी के रूप में बैक डेट से पैसे का लेनदेन कर रही है जबकि सेबी ने 11 अगस्त 2014 को कंपनी के नाम पर किसी भी तरह के लेनदेन के लिए रोक लगा दी है।
इतना ही नहीं सेबी ने पर्ल ग्रुप को तीन माह के भीतर देश के लाखों ग्राहकों के पैसे लौटाने के आदेश जारी किए थे। यह तीन माह सितंबर, अक्तूबर व नवंबर 2014 को पूरे हो चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक कंपनी अभी भी बैक डेट में ग्राहकों से आरडी के रूप में पैसा वसूल रही है और उन्हें उनका पैसा स्कीम के तहत डबल देने का झांसा दे रही है।
गौतम चेरिटेबल ट्रस्ट ने सेबी को की शिकायत में कहा है कि कंपनी प्रदेश के भोले भाले लोगों की खून पसीने की कमाई को जोखिम में डाल रही है जिस पर जल्द से जल्द रोक लगाई जानी चाहिए। पल्र्स ग्रुप राजस्थान का है। इसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में स्थित है। यह कंपनी 1996 में पंजीकृत हुई। यह कंपनी लोगों से पैसा लेकर एग्रीकल्चर लैंड डेवल्पमेंट पर लगाने का दावा करती थी लेकिन सेबी और सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की जजमेंट के अनुसार इस कंपनी की कार्यप्रणाली सही नहीं पाई गई और इसे चिट फंड कंपनी करार दे दिया गया था।
इस कंपनी पर सेबी ने 1998 में सबसे पहले शिकंजा कसा था जब सेबी ने इस कंपनी को पत्र लिख कर इसे कंपनी की स्कीमों के बारे में पूछा था। 1999 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सेबी को निर्देश दिए कि सेबी ऑडिटर नियुक्त करे जो कंपनी और स्कीमों की पारदर्शिता को देखे। वर्ष 2000 में ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट में कंपनी और इसकी स्कीमो में कमियों को उजागर किया। वर्ष 2002 में सेबी ने आर्डर पास किया कि कंपनी चिट फंड है और स्कीम फर्जी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में सेबी और सीबीआई को इस कंपनी की जांच के आदेश दिए। 12 अगस्त 2014 को सेबी ने कंपनी को 46000 करोड़ रुपए निवेशकों को तीन महीने में लौटाने को कहा लेकिन कंपनी ने निवेशकों का पैसा नहीं लौटाया, बल्कि अभी तक लोगों से बैक डेट में पैसा वसूल किया जा रहा है। हालांकि इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पेशल समिति बनाई है जो इस कंपनी की प्रॉपर्टीज को नीलाम करके निवेशकों का पैसा लौटाएगी।
कंपनी का यह गोरखधंधा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में जारी है। पल्र्स (पीएसीएल) कंपनी के प्रदेश के हर जिले में दफ्तर बनाए गए हैं जहां से पैसों का लेनदेन चल रहा है। कंपनी को जब सेबी ने अपनी स्कीम बंद करने और लोगों को 46 हजार करोड़ रुपए पैसा लौटने को बोला है उसके बाद कंपनी निवेशकों से पैसा तो ले रही है, लेकिन बदले में उन्हें बैक डेट 11 अगस्त 2014 की पर्ची काट कर देती है।
ट्रस्ट ने कहा कि कंपनी के मालिक और छह डायरेक्टरों पर सीबीआई ने क्रिमिनल और चीटिंग के केस दायर किए हैं। सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के नंबर 1800227575 पर उपस्थित पदाधिकारियों से बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके पास पल्र्स कंपनी द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े की शिकायत आई है। शिकायत मुख्य कार्यालय प्रेषित की गई है निर्देश आते ही कंपनी पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, कंपनी के सोलन स्थित स्टेट ब्रांच के मैनेजर सुखविंद्र सिंह ने बैक डेट में आरडी लेने की बात को नकारा है। उन्होंने कहा कि 6 जुलाई के बाद ही स्थिति तय हो पाएगी।
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