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PACL को निवेशकों का 49,100 करोड़ रुपया लौटाने का आदेश बरकरार

By Ak Sharma | Published on 20/08/2015

4.1/5 - (48 votes)

PACL को निवेशकों का 49,100 करोड़ रुपया लौटाने का आदेश बरकरार

मुंबई। भारतीय प्रतिभूति अपीलीय ट्राइब्यूनल (सैट) ने बाजार नियामक सेबी के उस आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया जिसमें प्रॉपर्टी डेवलपर पीएसीएल को निवेशकों का 49,100 करोड़ रुपया लौटाने का आदेश जारी किया गया था। 


सेबी ने अवैध सामूहिक निवेश योजना को लेकर पीएसीएल के खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके बाद पिछले साल सेबी के आदेश के खिलाफ पीएसीएल ने ट्रिब्यूनल में अपील किया था। लेकिन ट्रिव्यूनल ने पीएसीएल की अपील खारिज करते हुए उसे सेबी के निर्देशों पर तीन महीने में अमल करने को कहा। 


सेबी ने अवैध योजनाओं के जरिये निवेशकों से धन जमा करने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए पीएसीएल लिमिटेड (पहले पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन) को तीन महीने के भीतर 49 हजार 100 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था। सेबी ने कंपनी से अवैध सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) को बंद करने को भी कहा है। 


सेबी के आदेश के बाद पीएसीएल ने इसे प्रतिभूति अपीलीय ट्राइब्यूनल (सैट) में चुनौती दी। वहीं, पीएसीएल के बयान में कहा गया कि दुर्भाग्य से सेबी इस बात पर ध्यान नहीं दे सका कि कंपनी ने कहा था कि उसे सीआईएस नहीं माना जाए। कंपनी ने कहा है, ‘पीएसीएल ने सेबी की बेंच के सामने कहा था कि वह सीआईएस नहीं चला रही है। कंपनी ने अपने रीयल एस्टेट कारोबार के लिए जो धन जुटाया है, उसके पास उचित मात्रा में परिसंपत्तियां हैं।’ 


सेबी ने कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के एक दिशानिर्देश के अनुसार कंपनी तथा निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी तथा व्यापार में अनुचित व्यवहार करने वह सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआइएस) के बारे में सेबी के नियमों के उल्लंघन के आरोप में पीएसीएल के खिलाफ कार्रवाई की है। 


भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस संबंध में 92 पृष्ठ का आदेश जारी किया था। इसके अनुसार कंपनी ने खुद स्वीकार किया है कि उसने 49,100 करोड़ रुपये जुटाये है और अगर पीएसीएल एक अप्रैल 2012 से 25 फरवरी 2013 के बीच जुटाये गये कोष का पूरा ब्योरा दे तो यह राशि और भी अधिक हो सकती है। जिन निवेशकों से यह राशि जुटायी गयी, उनकी संख्या करीब 5.85 करोड़ है। इनमें वे ग्राहक भी शामिल है। जिन्हें जमीन आवंटित करने की बात कही गयी थी और उन्हें अभी तक जमीन नहीं दी गयी। अवैध तरीके से धन जुटाने के मामलों में यह न केवल राशि के लिहाज से बल्कि निवेशकों की संख्या को लेकर भी सबसे बड़ा मामला है। 


वही, पीएसीएल तथा निर्मल सिंह भांगू समेत उसके शीर्ष कार्यकारियों के खिलाफ सीबीआई भी जांच कर रही है। साथ ही यह सेबी की जांच के घेरे में पुराने मामलों में से एक है। नियामक ने 16 साल पहले फरवरी 1998 में पीएसीएल को कहा था कि वह न तो कोई योजना शुरू कर सकती है और न ही अपनी मौजूदा योजनाओं के तहत कोष जुटा सकती है। कंपनी ने अपनी दलील में कहा कि वह कोई अवैध योजना नहीं चला रही है और जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल है। 


सेबी ने अवैध तरीके से धन जुटाने की योजना चलाने को लेकर 1999 में पीएसीएल को नोटिस जारी किया था। बाद में मामला अदालतों में गया। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल फरवरी में आदेश जारी कर सेबी को यह पता लगाने को कहा कि क्या पीएसीएल का कारोबार सामूहिक निवेश योजना के दायरे में आता है या नहीं और कानून के मुताबिक कार्रवाई करने को कहा।

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Filed Under: MLM समाचार Tagged With: mlm hindi khabar, MLM News  

Comments

  1. Shareef Ahmad says

    02/10/2018 at 7:53 PM

    Paisa kab milega sir,

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    Reply
  2. Chiman Lal Baghel says

    10/10/2018 at 6:48 PM

    Hello
    Sir
    Namaskaa

    Sir please help me ,hamari madad karo
    Hamne bhi bahut rapye fix karwaya hai

    Kab milega sir bataiye please
    Mob.9630175909

    Loading...
    Reply
  3. vipin kumar says

    31/10/2018 at 7:51 AM

    hum garibo ka khun ye ese log chus rhe hum etani mehanat krke pesa jodhte hai lekin yese log hum or garib bana dete hai jiye to phir hum kese aapna pet se kat kat kr enhe pesa dete hai phir ye sale lekr bhag jate hai please sir hamara pesa bapsh kijiye hum to bese hi pareshan h

    Loading...
    Reply
  4. Rahulkumar says

    18/02/2019 at 5:00 PM

    Pacl ka pissa kb mil rha h

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    Reply
  5. Omnarayan soni says

    18/02/2019 at 8:09 PM

    Sir mere pita ka dehavsan ho gaya mere ruppees sighra bapas Karne ki krapa kare

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    Reply
  6. rajesh kumar tikariha says

    03/05/2019 at 8:11 PM

    investment time has been completed but money not return til now.

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    Reply
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