PACL के मालिक का पता नही,लेकिन यह कंपनी फिर भी जोरो-शोरो से चल रही है, और कौन चला रहा है यह कंपनी। बात सामने आई तो पता चला कि 57 वर्षिय निर्मल सिंह भंगु पीएसीएल मे प्रमोटर के पद पर कार्यरत है जो कि PACL की प्रमोटिंग करते है। साथ ही यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह मान लिया कि पीएसीएल एक कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम चलाती है, जिसे नियमित करने की जरुरत है। तो इस बात से इतना तो पक्का है कि इस कंपनी मे पैसा निवेश करने वाले निवेशको के पैसे डूबने तय हैं।
आइऐ जाने क्या है, Collective Investment Scheme
Collective Investment Scheme के तहत कंपनी निवेशको से कुछ साल के लिए सीधे तौर पर पैसा लेती है और उसके बदले मे 10-15 प्रतिशत वापस देने का दावा तो करती है, लेकिन इसमे किसी भी प्रकार से होने वाले जोखिम की हमारी कोई जवाबदेही नही होगी।
कंपनी पुरानी होने के बावजूद घोटालों को लेकर दिन ब दिन चर्चा का विषय बनती जा रही है। बीते माह एक बार फिर पीएसीएल, पीजीएफ पर 45,000 करोड़ रुपए घोटाला करने का मामला सामने आया है। पीएसीएल और पीजीएफ पर्ल ग्रुप की कंपनियां हैं। इसके साथ ही ऐसा माना जा रहा है कि कंपनी की इस योजना से लगभग अब तक पांच करोड़ निवेशक ठगी का शिकार हूऐ है। मिली जानकारी के अनुसार कंपनी के प्रमोटर निर्मल सिंह भंगू सहित आठ निदेशकों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, पर्ल ग्रुप की कंपनी पीएसीएल और पीजीएफ के परिसरों की तलाशी मे सामने आया है कि उन्होंने कथित रूप से पोंजी स्कीम के तहत 45,000 करोड़ रुपये जुटाकर करीब पांच करोड़ निवेशकों को ठगी का शिकार बनाया है।
पीएसीएल और पीजीएफ के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए सीबीआई ने पीजीएफ के डायरेक्टर निर्मल सिंह भंगू और पीएसीएल के डायरेक्टर सुखदेव सिंह सहित कंपनी के छह अन्य निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सीबीआई की प्रवक्ता ने बताया कि इन समूहों ने कृषि जमीन की बिक्री और विकास के नाम पर बनी सामूहिक निवेश योजनाओं के द्वारा पांच करोड़ भोले-भाले निवेशकों से गैर-कानुनी तरीके से धन जुटाया है। साथ ही उन्होने यह भी बताया है कि दस्तावेजों के प्रारंभिक विश्लेषण से ही यह पता चल गया है कि यह घोटाला बड़े स्तर पर किया गया है।
गौरतलब है कि पोंजी स्कीम में निवेशकों को पिरामिड जैसी संरचना के माध्यम से दूसरे जमाकतार्ओं से हांसिल किए गऐ पैसो से रिटर्न दिया जाता है। साथ ही सीबीआई का यह भी कहना है कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि दिल्ली स्थित एक निजी कंपनी की जालसाजी और एक दूसरी कंपनी द्वारा निवेश जुटाकर कथित रूप से करीब 45,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। कंपनियों ने यह सारा पैसा कृषि जमीन की बिक्री और उसके विकास के नाम पर जुटाया है।
सूत्रों के हवाले से यह भी खबर आई है कि, प्रारंभिक जांच मे सीबीआई को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यह घोटाला इतना बड़ा भी हो सकता है। फिलहाल अभी कुछ ही लेपटॉप खुले थे कि सीबीआई जो अनुमान लगा रही थी, जो इस धोटाले मे उपर से दिख रहा था वह तो केवल एक नमुना ही प्रतीत हो रहा था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। साथ ही दोनों कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पोंजी योजनाओं में जनता का पैसा जमा कर उन्हे करोड़ों रुपयो का चूना लगाया है। वर्तमान मे देश के विभिन्न राज्यों में लोगों की जमीन हड़प कर मोटी रकम ऐंठने वाली पीएसीएल लिमिटड कंपनी जो कि ( रियल एस्टेट संबंधित ) है।
दिल्ली तथा चंडीगढ़ सीबीआई की टीमों ने संयुक्त रूप से कंपनियों के चंडीगढ़, मोहाली और रोपड़ स्थित कार्यालयों में देर शाम तक छानबीन की। इसी बीच अधिकारियों ने संबधित दस्तावेज भी जब्त किए है। पीएसीएल लिमिटेड तथा इसकी सहयोगी कंपनी पीजीएफ पर केस दर्ज किया है तथा यह कार्यवाही दिल्ली मे ही की गई है। सीबीआई के अधिकारियों का यह भी कहना कि अपैक्स कोर्ट के आदेश मिलने के बाद एजेंसी ने कंपनियों पर लगे आरोपों की जांच के लिए देश में फैले कंपनियों के कारोबार के रिकार्ड खंगालने का फैसला किया है। इस दौरान चंडीगढ़, मोहाली और रोपड़ के अलावा सीबीआई ने जयपुर और दिल्ली में भी कंपनी के कार्यालयों में छानबीन की।
PACL ने भी बैंक से लिया था कर्ज
दरअसल देखा जाऐ तो अधिकतर तो ऐसी कंपनीयां है जो कि खुद को अलग ही ओंधे पर आंकती है। उनमे से पीएसीएल भी एक है। पीएसीएल का कारोबार हजारों करोड़ में बताया जाता है, सात ही पीएसीएल का यह भी कहना है कि उसके पास हजारों एकड़ जमीन है, पीएसीएल का यह भी दावा है कि उसके पास सैंकड़ों करोड़ रुपए की संपत्ति है। इतना सब होने के बावजूद भी इस कंपनी को 17.40 करोड़ रुपए का कर्ज एक बैंक से लेना पड़ता है। यह बात जरा पुरानी है, लेकिन सच है।
बीते दिनो की बात है, जब पीएसीएल कंपनी ने 29 मार्च 2010 को पंजाब नेशनल बैंक से 17.40 करोड़ रुपए बतौर कर्ज के रुप मे लिए थे। इस कंपनी ने कथित तौर पर भूखंड बेचने के नाम पर 20,035.72 करोड़ रुपए की कमाई आम जनता से की है। कंपनी के खातों की जांच-पड़ताल से पता चला है कि खातों में 10,076.87 करोड़ रुपयों की जमीन है, लेकिन यह सारी की सारी विवादित बताई गई है। इस बात से यह साफ हो जाता है कि कंपनी किस कदर झूठ और फरेब का सहारा लेकर तमाम निवेशकों को बेवकूफ बना रही है।
क्या है पीएसीएल का व्यापार
पीएसीएल रियल इस्टेट, टिंबर इंडस्ट्री, हाइब्रिड सीड प्रोडक्शन, पर्यटन, रिसॉर्टस, निर्माण, भूमि विकास, टिशू कल्चर, समेत बीमा और जमा योजनाओं के क्षेत्र में काम करती है। पीएसीएल पश्चिमी दिल्ली समेत देश भर में करीब 280 आॅफिस है। पीएसीएल कंपनी के डायरेक्टर एस भट्टाचार्य ने बताया, ‘हमारी कंपनी एक रियल एस्टेट कंपनी हैं जो कि जमीन की खरीद-बिक्री मे पैसा निवेश करती है। सीबीआई ने रियल एस्टेट कंपनी, पर्ल एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) और उसकी सहयोगी कंपनी पर्ल गोल्डन फॉरेस्ट लिमिटेड के प्रमोटर, निर्मल सिंह भंगु और निदेशक सुखदेव सिंह के खिलाफ जमाकतार्ओं को कृषि भूमि दिलाने के नाम पर पिरामिड स्कीम सहित आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है।
किस प्रकार होता है ग्राहको को लालच
ग्राहकों को पीएसीएल में पैसे लगाते समय जमीन के मालिकाना हक से ज्यादा इस बात का लालच दिया जाता है कि उनके द्वारा खरीदी गई जमीन की कीमत आने वाले समय मे बहुत तेजी से बढ़ेगी। आम तौर पर जमीन की कीमत पर 12.5 फीसदी सालाना रिटर्न का दावा किया जाता है। कंपनी में निवेश की मियाद आम तौर पर 5-10 साल तक होती है।
पीएसीएल ने निवेशको को रखा है अंधेरे मे
पीएसीएल के कामकाज के जानकारो के अनुसार कंपनी में जमीन खरीदने के नाम पर पैसे जमा करने वाले लोगों को टाइटल डीड नहीं दिया जाता है। लेकिन अगर कोई ग्राहक यह कहता है कि उसे जमीन के मालिकाना हक के कागजात नहीं मिला तो वह खुद को जमीन का मालिक कैसे कह सकता है। तो पीएसीएल के लोग निवेशको को बहकावा देकर कहते हैं आप कंप्यूटर से बनाई गई रसीद दिखाकर अपने मालिकाना हक का दावा पेश कर सकते हैं।
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rani says
tumhari ma ko choda mere paise wapas kro