भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों के साथ धोखाधडी करने वाली कंपनियों के खिलाफ अभियान तेजी के साथ आगे बढा दिया है। मामले मे ऐसी ठगी कंपनियो पर शिकंजा कसने के लिए सेबी को संसद और अधिक अधिकार मिलने का इंतजार है।
जानकारी के मुताबिक अभी तक इस वित्त वर्ष में अवैध तरीके से धन जुटाने की योजनाओं या गैर-कानूनी तरीके से प्रतिभूतियां जारी कर धन जुटाने वाली लगभग 28 कंपनियों के खिलाफ सेबी द्धारा कार्रवाई की जा चूकी है। जिसमे की 10 मामलों में इसी माह मे आदेश जारी किया जा चूका है। इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ हाल के महीनों में नियामक ने सैकड़ों इकाइयों के खिलाफ वसूली व कुर्की की प्रक्रिया भी की है।
उल्लेखनिए है कि इन कंपनियों ने सेबी के पूर्व जुर्माने के आदेशो व अन्य बकाया रकम चुकाने से साफ इंकार कर दिया था। सेबी को पोंजी योजनाओं व निवेश धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार देने वाले प्रतिभूति कानून (संशोधन) विधेयक, 2014 को मंत्रिमंडल द्धारा पिछले सप्ताह मंजूरी दे दी गई। जो की अब यह अब विधेयक संसद में बहुत जल्द पेश किया जाएगा। पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने सेबी को अध्यादेश के जरिये अधिक अधिकार दिए थे।
हालांकि अब अध्यादेश को तीन बार जारी किया जा चुका है। बाद में अध्यादेश को संसद में समय पर पारित नहीं किया जा सका। इस अध्यादेश के जरिये मिले अधिकारों के तहत सेबी ने 400 अलग-अलग मामलों में 1,500 के करीब कुर्की की कार्रवाई की हैं। इनमें से सेबी कुछ मामलों में वसूली कर पाई और बाद में उनके खिलाफ कुर्की आदेश वापस ले लिया गया। वंही कुछ माममो मे छापेमारी की गई।
सेबी के आदेशों के विश्लेषण के अनुसार अभी तक 2014-15 में जारी 28 आदेशों में से कम से कम 15 मामले ऐसे हैं जिनमें कंपनियों ने डिबेंचर व तरजीही शेयर जैसी प्रतिभूतियां जारी कर जनता से धन जुटाया लेकिन इसके लिए आवश्यक नियामकीय कानूनों का पालन नहीं किया। जिसमे की कुल मिलाकर इन कंपनियों ने निवेशकों से लगभग 1,500 करोड़ रुपये इकत्र किए है। ज्यादातर मामलों में सेबी ने अंतरिम आदेश जारी कर कंपनियों के अगले आदेश तक धन जुटाने पर रोक लगाई है। अन्य मामलों में अंतिम आदेश जारी किया गया है और संबंधित कंपनियों को निर्धारित समय में निवेशकों का धन वापस करने का आदेश दिया गया। गैर सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के मामलों में बाजार नियामक ने कम से कम 13 कंपनियों के खिलाफ आदेश दिया है। इनमें से कुछ कंपनियों का परिचालन पश्चिम बंगाल में है।
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