छत्तीसगढ़ के रायपुर इलाके मे सालो से चल रहा चिटफंड के गोरख धंधे को लेकर रमन सरकार ने अब अपनी चुप्पी तोड़ते हुऐ चिटफंडियो को सबक सिखाने की ठान ली है। लेकिन अभी तक पुलिस ने रायपुर मे कई चिटफंड के संचालको की गिरफ्तारी भी की थी। लेकिन पुलिस द्धारा गिरफ्तारी के अलावा पैसा निकलवाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाए गऐ है। लेकिन अब छत्तीसगढ़ सरकार ने मामले हस्तक्षेप करते हुऐ निवेशको के पैसे वापस दिलवाने के लिए इन चिटफंड कंपनी और उनके संचालको पर दबाव बना रही है।
उल्लेखनीए है कि अब तक इन कंपनियो की ओर से 104 लोगो के 46 लाख रुपए वापस किए जा चुके है। इसके बाद ही एचबीएन, एनआईसीएल समेत दो और अन्य कंपनियों ने 200 से ज्यादा लोगों के आधा करोड़ रुपए वापस करने की सूचना सरकारी जांच समिति को दे दी है। साथ ही इसकी जानकारी जिले के कलेक्टर को भी दी गई है। जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर ने मामले मे कंपनियों से निवेशको की सूची और उनकी जमा रकम वापसी का विस्तृत विवरण डिटेल मे मांगा है।
मामले मे जांच समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार मिश्रा ने बताया कि कंपनियों ने भरोसा दिलाया है कि जुलाई के आखिर तक लोगों के पैसे वापस कर दिए जाऐंगे। साथ ही कलेक्टर ने यह भी कहा है कि अगर ऐसा नही होता है तो कंपनियों पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी जांच समिति ने शहर में अवैध रुप से वित्तीय लेन-देन करने वाली कंपनियों पर छापेमारी कर लोगों के रुपए वापस करने के लिए दबाव बनाया है। इसके बाद ही HBN, PACL, CMD और PGL ने लोगों के पैसे वापस लौटा दिए है। इन कंपनियों के बाद NICL समेत दो और कंपनियों ने लोगों का जमा पैसा वापस करने की प्रक्रिया पर काम करना शुरू कर दिया है। इतना ही नही कलेक्टर ने बताया कि कंपनियों से आधा करोड़ रुपए और मिलने के बाद लोगों को वापस की जाने वाली रकम अब एक करोड़ रुपए के पार हो जाएगी। अभी तक 46 लाख रुपए लोगों के वापस किए गऐ है।
हालांकि सरकार की इस संवेदनशील कार्रवाई को लेकर माडा मोटा सा विरोध भी हुआ था। जिसमे की इनमे से कुछ लोगो ने विरोध करते हुऐ इन कंपनियों को सील किया जाए, उनके अकाउंट सीज किए जाएं, पुलिस एफआईआर करे और मालिकों को अरेस्ट किया जाए ऐसा भी कहा है।
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