लाख परेशानियो से गुजरने के बावजूद भी सहारा के कर्मचारी अपनी हरकतो से बाज नही आ रहे है, फिर भी लोगो को बराबर ही नोचना खसोटना अभी भी जारी है। वो कहते है न चोर चोरी से जाऐं पर हेरा फैरी से न जाऐं। देखा जाए तो वही हाल सहारा का भी है।
परेशानियों से घिरने के चलते सहारा अपने नियमित कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दे पा रहा है तो वहीं कांन्ट्रेक्ट बेस पर रखे गऐ कर्मियो को लगभग ढाई महीने से वेतन नहीं मिल पाई है।
वंही अब दैहरादून से राष्ट्रीय सहारा अखबार का मामला सामने आया है। मामला चुनावो के दौरान राजनितीक पार्टियों से मिलने वाले विज्ञापनो से जुड़ा हुआ है। जिसमे से भाजपा के विज्ञापनों की जिम्मेदारी राज्य ब्यूरो के सदस्य अमरनाथ की थी। वह भाजपा से विज्ञापन तो नहीं दिला पाए लेकिन केवल एक उम्मीदवार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से उनकी डील हुई। सहारा में विज्ञापन लाने पर स्टाफर को साढ़े सात प्रतिशत और स्ट्रिंगर को 15 प्रतिशत तक का कमीशन मिलता है।
अमरनाथ ने मोटी रकम कमाने के लालच मे आकर जो विज्ञापन खुद के माध्यम से आना था वह उसने स्ट्रिंगर राजकिशोर का सहारा लेकर कंपनी को दिलवाया। इस प्रकार से कंपनी को सीधे तौर पर साढ़े सात प्रतिशत का चूना लगवा दिया। इस बार आर्थिक संकट के चलते किसी भी राज्य ब्यूरो के सदस्य को लोकसभा क्षेत्रों का दौरा करने की इजाज़त नहीं मिली थी।
लेकिन राजधानी देहरादून से लगभग 38 किलोमीटर दूर हरबर्टपुर में मोदी की जनसभा कवर करने के नाम पर अमरनाथ ने सहारा से चार हजार रुपये झटक लिए। वह भी तब जब कि सूत्र बताते हैं कि वह सभा कवर करने भाजपा की ही गाड़ी से मुफ्त में गए और आए थे।
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