जहां एक ओर ऑनलाइन वेबसाइट से शॉपिंग करने का क्रेज चलन मे है, वहीं दुसरी ओर ऑनलाइन ठग ऐसे ही लोगो को शिकार बनाने की फिराक मे रहते है। ऐसा ही एक ठगी का मामला सामने आया है, जहां एक कंपनी के मैनेजर ने सुपर बाइक की चाहत मे लाखो रुपए ग्वां बैठा, इस वारदात को अंजाम देने के लिए ठगो द्धारा ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट को हथियार के रुप मे इस्तेमाल किया गया। मैनेजर ने बताया कि वेबसाइट पर दिए विज्ञापन के अनुसार 15 लाख रुपए की कीमत की बाइक मात्र साढ़े तीन लाख रुपऐ मे बेच रहे थे। मैनेजर ने बाइक खरीदने के लिए मुंबई के एक शख्स के खाते मे रुपये ट्रांसफर कर दिए, लेकिनफिर वह शख्स नहीं मिला।पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी मैनेजर के सिर से बला नही टली थी।
इसी बीच मामले मे मुंबई वाले शख्स का हवाला देते हुऐ कुछ नाइजीरियंस ठगो ने मैनेजर से 10 लाख रुपए से ज्यादा ऐंठ लिए। मैनेजर की शिकायत के बाद और भी कई फर्जीवाडे का खुलासा हुआ है। पुलिस की कार्यवाई मे नाइजीरियंस तो दबोच लिए गए साथ ही लाखों फर्जी डॉलर्स के साथ फेक इंडियन करंसी सिंडिकेट का भी खुलासा हुआ है। नई दिल्ली डिस्ट्रिक्ट की पुलिसिया कार्यवाई मे चार नाइजीरियंस की गिरफ्तारी कर लाखों की रिकवरी के साथ इस गैंग का भंडाफोड़ किया है।
पुलिस के अनुसार पीडीत मंजीत चढ्ढा गुड़गांव की एक फर्म में बतौर सेल्स मैनेजर के पद पर तैनात हैं। गत फरवरी माह में सुपर बाइक खरीदने के लिए मंजीत एक वेबसाइट से निशाना साधा। वेबसाइट पर मौजूद एक विज्ञापन में दावा किया गया था कि, 15 लाख रुपये की कीमत वाली सुपर बाइक सुजुकी हायाबुसा सिर्फ साढ़े तीन लाख में पाएं। यह बाइक खरीदने के लिए मंजीत ने मुंबई के एक शख्स अनिल पाटिल से सम्पर्क किया। मंजीत ने दो महीने के दौरान आरोपी पाटिल के अकाउंट में रुपये ट्रांसफर कर दिए, पैसे ट्रांसफर होने के बाद से पाटिल और मंजीत का संपर्क नहीं हुआ।
इसी बीच पाटिल ने मंजीत का नंबर जेम्स नाम के एक शख्स को दे दिया और जेम्स ने मंजीत की बातचीत मैथ्यू नाम के शख्स से करवाई। 17 मार्च को मैथ्यू गुड़गांव के एंबीयंस मॉल में मंजीत से मिला। यहां मैथ्यू ने सुपर बाइक की बजाय ब्लैक पेपर दिखाया, ब्लैक पेपर को एक खास केमिकल से रगड़ने पर वह डॉलर की शक्ल में बदल गया। बावजूद इसके मनजीत मे कोई रुचि नही दिखी तो मैथ्यू ने पाटिल को दिए गए साढ़े तीन लाख रुपये जल्द लौटाने की बात कही।
जेम्स, मैथ्यू के अलावा तीसरा शख्स क्वामे भी मंजीत से मिला। तीनों ने खुद को ब्रिटिश एंबेसी का उच्च अधिकारी बताया और मंजीत से रुपयों की डिमांड करने लगे। इन्होंने कहा कि ब्लैक पेपर को डॉलर में कनवर्ट करने के लिए केमिकल खरीदने के लिए रुपये चाहिए। इसके बाद रुपये लौटा दिए जाएंगे। दबाव में आकर मंजीत ने इस गैंग को ढाई महीने के बीच 45 हजार डॉलर यानी 27 लाख रुपये पकडा दिए। फिर इस गैंग का आखिरी मेंबर खलीफा सबसे आखिर में मंजीत के पास पहुंचा और 10 लाख रुपये ए और रफ्फु-चक्कर हो गया।
लाखों ठग जाने के बाद मंजीत को महसुस हुआ तो मंजीत ने दोबारा इस गैंग से संपर्क कर रुपए वापसी की मांग की। रुपये लेकर फरार होने वाला खलीफा मंजीत से मिलने दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित ताज होटल के सामने पहुंचा। यहां मंजीत ने उसे दबोचना चाहा लेकिन वह फरार होने मे कामयाब हो गया। इसी दौरान मंजीत ने 100 नम्बर पर कॉल की और एक के बाद एक गैंग के सभी गुर्गे पुलिस के हत्थे चढ़ गऐ। फिलहाल पुलिस अभी मामले के चारो आरोपियो को रिमांड मे लेकर इस फर्जीवाडे की तह तक जाने की कोशिश मे जुटी है।
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