ठगो ने अपनी राजनीतिक पहुंच को गलत तरीके से इस्तेमाल करके लोगो को ठगने की जैसे कसम सी खा रखी हो। भ्रष्टाचार की बदौलत जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंक-कर पोंजी स्कीमों के नाम पर आम जनता से खासी मोटी रकम निवेश करवाकर उन्हे लूट लेते है। इन्ही बढ़ती हूई परेशानियो को संज्ञान मे लेते हूऐ सेबी अब इन कंपनियो की काली कमाई पर झाड़ु फेरने वाली है।
अधिकार न होने केचलते इतने लम्बे समय से सेबी खामोश बैठ था लेकिन अब इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार मिलने के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) मजबूती के साथ मुकम्मल तैयारी करना चाहता है। साथ ही सेबी का यह भी कहना है कि निवेशकों को ज्यादा रिटर्न देने के नाम पर उल्लू बनाने वाली कंपनियों व उनके अधिकारियों पर शिकंजा कसना है तो राज्य सरकार को भी इस मुहिम मे सेबी का साथ देना होगा जिससे कि जल्द से जल्द इनके खिलाफ कार्यवाही की जा सकें। सेबी के आला अधिकारी भी ऐसी स्कीमें चलाने वाली कंंपनियों के खिलाफ सबूत एकत्रित करने में जुट गए हैं।
सेबी से जुड़े सूत्रों के अनुसार इतने समय से लोगो के साथ हो रही धोखा-घड़ी पर लगाम लगाने के लिए अभी तक राज्यों की तरफ से पोंजी स्कीमों के खिलाफ कार्रवाई करने में पूरी तरह से समर्थन नहीं मिल पा रहा था, नतीजन आज इन ठगो की ठगी का जाल बड़ी ही तेजी के साथ भारत के कोने कोने मे फैल गया है। लेकिन अब उम्मीद है कि राज्य सरकारें सेबी की मदद जरुर करेंगी, क्योंकि केंद्र सरकार ने फिर से अध्यादेश जारी कर नियामक को ऐसी स्कीमों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार दे दिया है। पिछले साल दो बार सेबी ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा था कि वे अपने राज्य मे एक उच्चस्तरीय समिति गठित करें। यह समिति न सिर्फ पोंजी स्कीमों के संचालन पर निगरानी रखेगी, बल्कि गल्त पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने में रिजर्व बैंक, सेबी या अन्य एजेंसियों की मदद भी करेगी। अभी तक सिर्फ केरल और ओडिशा ने इस तरह की समिति को गठित करने के लिए तैयार हुआ है।
कितनी चल रही है पौंजी स्कीम
देश में कितनी पोंजी स्कीम चल रही है, इस बात से अधिकतर लोग अंजान है किसी को इस बारे मे ठीक से नही पता है। पश्चिम बंगाल में बहुचर्चित सारधा ग्रुप द्धारा पोंजी स्कीम के संचालन का भंडाफोड़ होने के बाद संप्रग सरकार ने वित्त मंत्रालय के तहत एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया था। जिसमे समिति ने देश भर में पांच सौ से अधिक पोंजी स्कीमों के संचालन की बात कही थी। समिति ने तब अनुमान लगाया कि बंगाल, ओडिशा, असम, केरल, और महाराष्ट्र में सबसे अधिक ऐसी स्कीमें चलाई जा रही हैं।
इस समिति की सिफारिशों के नतीजन सेबी को इन कंपनियो के खिलाफ कार्यवाई करने के लिए ज्यादा अधिकार देने का फैसला किया गया था। नियामक को हाल ही में जारी नए सेबी अध्यादेश के जरिऐ यह अधिकार मिला है कि वह पोंजी स्कीम चलाने वाली कंपनियों के निदेशकों व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की संपत्तियों को जब्त कर उनकी गिरफ्तारी कर सकती है। और इस काम के लिए सेबी को स्थानीय पुलिस बल की पुरी मदद मिलेगी। लेकिन अब बात रही अन्य राज्यो कि वह नियामक की मदद के लिए आगे बढ़ता है या फिर नही।
क्या होती है पोंजी स्कीम
कई कंपनियां निवेशकों को जमा रकम का उच्च रिटर्न का वादा कर उनसे अपनी स्कीमों में निवेश करवाती हैं। शुरुआती दौर मे यह कंपनी भारी-भरकम रिटर्न दे देती है जो कि स्कीम से जुड़े निवेशकों द्वारा जमा कराए गए पैसे होते है। जब इन ठगो के पास अच्छी खासी रकम जमा हो जाती है तो इसे लेकर चंपत हो जाती हैं।
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