कबीर दस जी कहना है मनुष्य का स्वभाव है कि वह दूसरों के दोष देख कर हंसता है, तब उसे अपने दोष याद नहीं आते जिनका न आदि है न अंत। ऐसे विचार जो दूसरो को प्रेरित करे, ऐसे विचारो को एक दूसरो के साथ जरुर शेयर करें
कबीर दोहा-11लूट सके तो लूट ले,राम नाम की लूट
कबीर दस जी कहते हैं कि अभी राम के नाम की लूट मची है तुम भगवान् का जितना नाम लेना चाहते हो ले सकते हो नहीं तो समय निकल जाने पर, अर्थात मर जाने के बाद पछताओगे कि मैंने उस समय रामभगवान् की पूजा क्यों नहीं किया । ऐसे विचार जो दूसरो को प्रेरित करे, […]
कबीर दोहा-13 माला फेरत जुग भया
कबीर दस जी कहते हैं कि कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में मोती की माला तो घुमाता हैपरंतु उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती। कबीर जी ऐसे व्यक्ति को यह सलाह देते है कि है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो । […]
कबीर दोहा-12 धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय
कबीर दस जी कहते हैं मन में धीरज रखने से ही सब कुछ होता है जिस प्रकार अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी वह पेड़ फल तो ऋतु आने पर ही देगा ।उससे पहले नहीं। ऐसे विचार जो दूसरो को प्रेरित करे, ऐसे विचारो को एक दूसरो के साथ […]
कबीर दोहा- 10 दुर्लभ मानुष जन्म है
संत कबीर दास ने कहा है इस संसार में मनुष्य जन्म बहुत ही मुश्किलों से मिलता है। यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता। ऐसे विचार जो दूसरो को प्रेरित करे, ऐसे विचारो को एक दूसरो के साथ जरुर शेयर करें
कबीर दोहा-9 तिनका कबहुँ ना निन्दिये
संत कबीर दास ने कहा है कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा नहीं करनी चाहिए जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है, यदि वह तिनका कभी उड़कर आँखों में आ गिरे तो कितनी अधिक पीड़ा होती है ।
कबीर दोहा- 8 साधु ऐसा चाहिए
संत कबीर दास ने कहा है कि इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है।जो सार्थक चीज को बचा लेते है और निरर्थक चीज को उड़ा देंते है। ऐसे विचार जो दूसरो को प्रेरित करे, ऐसे विचारो को एक दूसरो के साथ जरुर शेयर करें
कबीर दोहा- दु:ख में सुमिरन सब करे
संत कबीर दास ने कहा है कि दुःख के समय सभी भगवान् को याद करते हैं परंतु सुख के समय में कोई नहीं याद करता है। इस प्रकार यदि सुख में भी भगवान् को याद किया जाए तो दुःख हो ही क्यों होगा। ऐसे विचार जो दूसरो को प्रेरित करे, ऐसे विचारो को एक दूसरो […]
कबीर दोहा-6 बोली एक अनमोल है
संत कबीर दास ने कहा है यदि किसी व्यक्ति को सही तरीके से बोलना आता है तो उसे पता है कि वाणी कितनी अनमोल तथा अमूल्य रत्न है। इसलिए उसे ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर निकालना चाहिए। ऐसे विचार जो दूसरो को प्रेरित करे, ऐसे विचारो को एक दूसरो के साथ […]
कबीर दोहा-5 मांगन मरन समान है
संत कबीर दास जी का कहना है, माँगना मरने के समान है इसलिए किसी से भीख मत मांगो ।सतगुरु कहते हैं कि मांगने से तो मर जाना बेहतर है इसका मतलब है पुरुषार्थ अर्थात स्वयं चीजों को प्राप्त करो उसे किसी से मांगो मत।