इस बदलते मौसम में बुखार आना आम बात है। बुखार कभी बोल के नहीं आता मौसम के अनुरुप ये आते है। जिससे मलेरिया,डेगु और ना जाने कितने बिमारियों को अपने चपेट में ले लेती है।ये बिमारियाँ बुखार के रुप में हमारे शरीर में रहती है जो बहुतेरो इलाज को बाद भी नहीं जाती है।इस प्रकार बुखार का सीधा संम्पर्क हमारे शरीर के तापमान पर जाता है। इस तपमान को कम करने के लिए मार्केट में बहुत सी दवाईयॉ भी उपलब्ध है।लेकिम इन से दवाईयों से साइड-इफेक्ट कई जगहों पर देखने व सुनने को मिल जाते है।
इसलिए अगर हम घरेलु नुक्खे को अपनाए तो साइड-इफेक्ट होने की संभावना नहीं रहेगी। ये कही बाते नहीं बल्कि ले आजमाई हुई है। आदिवासियों के अनुसार रत्ती पौधे की पत्तियों की सब्जी बेहद शक्तिवर्धक होती है। इस सब्जी का सेवन बुखार से ग्रस्त व्यक्ति का बुखार उतर जाता है। आदिवासियों का ये भी मानना है कि इन पत्तियों की चाय बनाकर पीने से भी बुखार उतर जाता है और साथ ही सर्दी और खांसी में भी राहत मिलती है।
आइए जानते है कुछ खास नुस्खो के बारे में-
- हंसपदी के सभी भाग को यानी तना, पत्ती, जड़, फल और फूल लेकर सुखा लेते हैं और फ़िर इसका चूर्ण तैयार कर ले इस चूर्ण का चुटकी भर भाग शहद के साथ सुबह और शाम ले। इससे बुखार में आराम मिलता है।
- बुखार के साथ सिर दर्द और बदन में सिवान की पत्तियों को पीसकर सिर पर और शरीर के दर्द वाले हिस्सों पर लेप करने से दर्द और जलन समाप्त हो जाती हैं।
- सूरजमुखी की पत्तियों का रस निकाल कर मलेरिया आदि में बुखार आने पर शरीर पर लेप लगाए आराम मिलेगा।
- आदिवासियों के अनुसार सिवान की पत्तियों और छाल के रस में तिल के तेल को मिलाकर मालिश करने से बुखार दर्द में राहत मिलती है।
- गुजरात के डांग आदिवासियों का मानना है कि जुकाम और बुखार होने पर सप्तपर्णी की छाल, गिलोय का तना और नीम की आंतरिक छाल की समान मात्रा को कुचलकर काढ़ा बनाया जाए और रोगी को दिया जाए तो बहुत जल्दी आराम मिलता है।
- हुरहुर की जड़ों के रस की कुछ मात्रा (लगभग 5 से 10 मिली) सुबह और शाम पिलाने से बुखार के बाद आई कमजोरी या सुस्ती में लाभ होता है।
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