‘लू’ के लक्षण सभी में समान नहीं है। आमतौर पर लू की चपेट में आने पर शरीर का तापमान धीरे-धीरे बढऩे लगता है जो 107 डिग्री तक पहुंच सकता है। रोगी को चक्कर आने लगता है, नब्ज की गति बढ़ जाती है, तेज सिर दर्द, बदन दर्द और सम्पूर्ण शरीर में कमजोरी का एहसास होने लगता है।इसमें कई बार रोगी बेहोश भी हो जाता है। लू लगने से शरीर में पानी व नमक की कमी हो जाती है तथा तापमान बढ़ जाता है। यदि रोगी के शरीर के तापमान को नियंत्रित नहीं किया जाता तो उसका मस्तिष्क हमेशा के लिए बेकार हो सकता है या व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
कुछ सावधानी और सतर्कता बरतें से लू से बचा जा सकता है।
गर्मियों में जब भी घर से बाहर निकलें, आंखों पर धूप का चश्मा लगाकर निकलें जिससे यह धूप से राहत और आंखों को ठंडक देगा। जो लोग एयर कंडीशनर या कूलर के सामने बैठ कर काम करते हैं उन्हें अचानक ठंडे जगह से तेज धूप में नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इस सर्दी-गर्मी की वजह से भी ‘लू’ लग सकती है।
गर्मियों में चूंकि पसीना अधिक आता है इसलिए शरीर का पानी अधिक मात्रा में खर्च होता है। इसी कारण पानी का सेवन कभी कम नहीं करना चाहिए। पानी के अतिरिक्त इस मौसम में शरबत, गन्ने का रस, लस्सी आदि का भी सेवन करना चाहिए। इसी प्रकार प्रतिदिन कच्चे आम के पन्ने का सेवन करना से भी ‘लू’ से बचा जा सकता है।
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