देश भर के लाखो लोगो को कम समय मे डबल मुनाफे का लालच देकर करोडो रुपये लेकर चिटफंड कंपनी ग्रीन-रे- लेंड डेवलपर्स फरार हो गई। लोगो को सोने चांदी का व्यापार करके उसमे बराबरी का हिस्सा देकर अपने झांसे मे फांस लिया और रातो रात करोडपति बनने की मंशा मे लोगो ने भी इनके झांसे मे आकर अपनी मेहनत की कमाई इनके हवाले कर दी जिनको यह ठग बड़ी ही चलाकी से लेकर फरार हो गऐ।
कंपनी ने सिर्फ रायुपर ही नही देश के अलग अलग राज्यो मे अपनी ब्रांच खोल रखी है,जिसमे इनके सातवी आठवी फैल डायरेक्टर व मैनेजर बैठे है, जो कि कम पढ़े लिखे होने के बावजूद भी अच्छे खासे पढे लिखे लोगो को उल्लू बनाकर उनसे लाखो करोडो रुपए ऐंठ लेते है। अगर देखा जाएं तो पिछले एक दशक मे प्रदेश भर मे दर्जनभर से भी अधिक कंपनी लोगो से यह चिटफंड कंपनियां 500 करोड से भी ज्यादा का चुना लगाकर गोल है। यह सारा कांड पुलिस प्रशासन व जो खुद को जनता का हितेशी मानते है उनकी नाक के नीचे यह गोरख धंधा सालो साल चलता रहा, लोगो ने इस बाबत पुलिस व संबधित अधिकारीयो से भी गुहार लगाई, लेकिन जब तक प्रशासन की नींद खुली तब तक यह ठग अपना बोरिया बिरस्तरा बटौर कर फरार हो चुके होते।
सातवी आठवी फैल डायरेक्टर व मैनेजर
मामले मे हैरान कर देने वाली बात ये है कि लोगो को लाखो करोडो की चपत लगाने वाले ग्रीन-रे-डेवलपर्स के डायरेक्टर व मैनेजर अनपढं है। कंपनी के चार डायरेक्टर्स में से दो सातवीं पास है तो तीसरा छठी तक ही पढ़ा है और रहा अब चौथा वह आठवी मे भी फैलियर है। यह क्वलिफिकेशन तो थी कंपनी के डायरेक्टर की,तो एजुकेशन के मामले मे कंपनी मैनेजर भी कुछ पीछे नही है, दो जोनल मैनेजर केवल आठवी तक ही पढ़े है, और दो ब्रांच मैनेजर एक तो है छठी पास तो दुसरा दसवी पास कर गया। राजधानी के इन ठगो ने मोती बाग चौक के पास दफ्तर खोलकर करोड़ों की धोखाधड़ी करने के मामले मे ग्रीन रे कंपनी के डायरेक्टर, मैनेजर और एजेंटों समेत करीब आधा दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ थाना गोलबाजार मे इस कंपनी पर धोखाधडी (420) करने मे मामला दर्ज किया है। मामला तो दर्ज हो गया है लेकिन अभी तक यह ठग पुलिस की पहुंच से दुर है।
मामले मे और भी कई खिलासे हुऐ है साल 2013 के जुलाई माह मे ओडिशा हाईकोर्ट के निर्देश पर कम्पनी के मुख्यालय को सील कर दिया गया था, बावजूद इसके रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ जिलो मे कंपनी के दफ्तर धड़ल्ले से चलते रहे और जब तक घोटाला का मामला सामने आया तब तक कंपनी के डायरेक्टर व एजेंट फरार हो चुके थे। कंपनी के डायरेक्टरों के देश छोड़कर भागने की आशंका को ध्यान में रखकर अब पुलिस उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की तैयारी में है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि ग्रीन रे कम्पनी के संचालकों के लिंक ओडिशा, मुम्बई, दिल्ली के साथ ही दुबई से भी जुड़े हुए हैं। कंपनी की वेबसाइट पर भी यह देखा जा सकता है।
पुलिस के हाथ नही लगा कोई सुराग
इन ठगो की तलाश मे दिल्ली भेजी गई गोलबाजार पुलिस टीम के हाथ एक भी कोई ऐसा सुराग हाथ नही लगा है जिससे मामले मे कुछ और खुलासा हो पाए,वापस लौट आई पुलिस टीम को अब जालसाजों की धर पकड के लिए ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार समेत अन्य राज्यो मे सर्च कर रही है।
दुबई से जुडे है कंपनी के तार
जानकारी मे आया है कि किसी न किसी तरह से कंपनी का कारोबार दुबई तक फैला हुआ है। मामले मे ओडिशा के ग्राम जालेगांव निवासी कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मीर शाहिरूद्दीन तथा उसका भाई मीर ताहिरूद्दीन, दिल्ली के कपड़ा व्यवसायी अय्यूब शाह तथा ओडिशा निवासी खालिक शाह कंपनी में डायरेक्टर के पद पर काम करते हैं। इन लोगों ने दुबई में भी कंपनी का कारोबार फैला रखा है। कम्पनी ने सबसे पहले ओडिशा से सटे प्रान्तों में अपना कारोबार फैलाकर धर्म के आधार पर मुस्लिम समुदाय के कमजोर वर्गों को अपना मुख्य निशाना बनाया।
पढ़ाई मे किसने कितनी की है महारत हांसिल
आरोपियो की पद योग्यता
मीर शाहिरूद्दीन कंपनी मे बतौर डायरेक्टर (आठवी पास)
मीर ताहिरूद्दीन कंपनी का डायरेक्टर (सातवी पास)
अयूब शाहा बतौर डायरेक्टर (छठी पास)
खालिक शाहा डायरेक्टर (आठवी पास)
तेंमूर इकबाल कंपनी मे बतौर जोनल मैनेजर यह भी है (आठवी फेल)
नुरूल हसन कंपनी का जोनल मैनेजर (आठवी फेल)
उत्तम बेहरा ब्रांच मैनेजर कंपनी मे अकेला (दसवी पास)
सुशांत दास ब्रांच मैनेजर (छठी पास)
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