जो लोग जानबूझ कर बैंक से लिया हुआ कर्जा नही चुकाते थे, अब उनको ऐसा करना काफी भारी पड सकता है। क्योंकी हाल ही मे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मार्केट रेग्युलेटर सेबी को सुझाव दिया है कि ऐसी इकाइयों को कैपिटल मार्केट्स के जरिए फंड्स जुटाने से रोकने की आवश्यकता है। यह कदम आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम मे बढ़ते हूऐ लोन आवंटन मे कठिनाइयो को देखते हुऐ उठाया है।
सुत्रो की जानकारी के अनुसार रिजर्व बैंक उन लोगो लगाम लगाने पर विमर्श कर रहा है जो लोग जान बूझकर बैंक का लिया हुआ पैसा लेकर वापिस नही करते है। साथ ही आरबीआई ने बैंको को ऐसी चूक करने वाले लोगो के बारे मे डिटेल्स मांगी है जिससे उनपर कार्यवाही की जा सके। जिससे आगे होने वाली इन डिफॉल्टर्स को कैपिटल मार्केट्स के जरिए फंड्स जुटाने से रोका जा सके।
जिससे बाजार नियामक (सेबी) के अधिकार के क्षेत्र मे आने वाले माध्यम जैसे इंश्योरेंस के जरिए फंड जुटाने पर भी रोक लगाई जा सकती है।
मामले से संबधित एक अधिकारी के अनुसार अभी इस मुद्धे मे सेबी मे विचार-विमर्श होना बाकी है। मामले मे इस बारे में अंतिम फैसला मौजूदा रेग्युलेशंस के अलग-अलग प्रोविजंस और सभी शेयरहोल्डर्स के नजरिए को ध्यान में रखने के बाद ही लिया जाएगा। अभी फिलहाल जानबूझकर बैंक का कर्ज न देने वाले डिफॉल्टर्स की जानकारी सेबी और सिबिल जैसी क्रेडिट इंफॉर्मेशन एजेंसीज को तीन माह पश्चात दी जाती है।
ऐसा करने से डिफॉल्टर्स को और अधिक धन जुटाने से रोकने के अलावा रेग्युलेटर्स के बीच इंफॉर्मेशन के रियल टाइम शेयरिंग से बड़ी पैमाने पर इनवेस्टर्स के हितों को सुरक्षित रखने में खासा मदद मिलेगी। रियल टाइम बेसिस पर डिटेल्स शेयर करने से सेबी और दूसरी एजेंसियां यह ज्यादा बेहतर तरीके से सुनिश्चित कर सकेंगी
मामले मे बढ़ती परेशानी को देखते हुऐ रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार दोनों ने ही बैंकिंग सिस्टम में बढ़ते हुऐ जोखिम भरे लोन को लेकर चिंता जताई है, खासतौर पर ऐसे समय में जबकि पिछले दो वित्तिए वर्ष से इकनॉमिक ग्रोथ 5 प्रतिशत तक नीचे गीर गया है। आमतौर पर विलफुल डिफॉल्टर्स लोन चुकाने की स्थिति में होने के बावजूद पेमेंट नहीं करते हैं।
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