बाजार नियामक सेबी ने अब धोखाधड़ी करने वालो के खिलाफ अपना रुख सख्त कर लिया है । इसलिए सेबी ने धोखाधडी के बढते मामले को देखते हुए नऐ अधिकारो के तहत बाजारो मे धोखाधडी करने वालो के खिलाफ अब तक 1,600 करोड रुपए से अधिक की कुर्की करने के 700 से भी ज्यादा आदेश जारी कर चूका है। अभी इस मामले मे नियामक के नए अधिकारो को लेकर जुबानी जंग छिडी हुई है की नियामक को वसूली,कुर्की आदि के अधिकारी जारी एक अध्यादेश के अनुसार दिए गये है। इससे पहले भी मामले मे अध्यादेश तीन बार जारी किया जा चुका है तथा इस अध्यादेश की जगह संसद में पारित अधिनियम की जरूरत है।
तीन बार जारी हुआ अध्यादेश
जैसा कि जानकारी हांसिल हुई है कि मामले मे इसे 18 जुलाई 2013 को पहली बार जारी किया गया था। जबकि 16 सितंबर 2013 को दुसरी बार और तीसरी बार इसे 28 मार्च 2014 को जारी किया गया था। सेबी अभी के ताजे मामलो मे करीब 170 मामलो में 700 से अधिक कुर्की के आदेश जारी कर चुका है। मामले मे कुछ सांसदो ने अपनी नराजगी जाहिर करते हुऐ प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की है कि इस जारी अध्यादेश मे सेबी को जरुरत से ज्यादा अधिकार न दिऐ जाएं जो कि इस समय जरुरत से ज्यादा अधिकार प्राप्त है। इसके बाद से ही यह एक चर्चा का विषय बना हुआ है।
सूत्रो की माने तो यह भी आशंका जताई जा रही है कि सेबी को दिऐ गए अधिकारो को पुरी तरह से वापस लेने की संभावनाऐं कम दिखाई दे रही है। परंतु यह भी बताया गया है कि अधिकार तो वापस नही लिए जा सकते लेकिन इसमे कुछ अतिरिक्त सुरक्षा को लेकर खास प्रावधान किया जा सकता है
मामले मे एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया है कि इन अधिकारो को वापस नही लिया जा सकता है क्योंकी इस अधिकार से सेबी को धोखेबाजो व चिटफंडियो के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए खास मदद मिलेगी। अधिकारी ने यह भी कहा कि यह भी धारणा गलत है कि यह अध्यादेश सहारा समूह के खिलाफ कार्रवाई के लिए सेबी को सशक्त बनाने के लिए ही गठित की गई है ।क्योंकि सहारा समूह के खिलाफ अभी तक जो भी कार्यवाई की गई वह सभी उच्च न्यायालय के आदेशो के तहत की गई है।
मामले एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यदि इस अध्यादेश को खत्म होने दिया गया तो कई तरह की गैर कानूनी जमा योजनाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार के पास कोई और हथियार नही होगा जिससे ऐसे गैर-कानूनी काम करने वालो के खिलाफ कार्यवाई कर सके।
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